Seoni,Vinod Yadav. जयपुर के विश्वविख्यात हाथी महोत्सव की तर्ज पर पेंच टाइगर रिजर्व भी बीते कई सालों से हर साल हाथी महोत्सव का आयोजन कराता चला आ रहा है। नेशनल पार्क के कर्माझिरी परिक्षेत्र में पियोरथड़ी हाथी कैंप में 6 दिवसीय हाथी महोत्सव चल रहा है। जिसमें जंगल के कोतवाल यानी हाथियों के जमकर खातिरदारी हो रही है।
कहते हैं कि जंगल के राजा का पद तो बाघ के पास है लेकिन पूरे जंगल में घूम-घूमकर निगरानी से लेकर जंगल में नए पौधों के अंकुरण से लेकर पूरी हिफाजत का काम हाथियों के पास होता है इसलिए इन्हें जंगल के कोतवाल का पद दिया गया है।
6 दिनी इस हाथी महोत्सव का उद्देश्य साल भर जंगल में निरीक्षण की सेवाएं देने वाले हाथियों को रिलेक्स मूड में लाने और उन्हें बीमारियों से बचाना है। इस दौरान पूरे 6 दिन हाथी छुट्टी पर रहेंगे और कर्मचारी हाथियों को रोजाना नहलाकर नीम तेल से मालिश कर रहे हैं। हाथियों के नाखूनों की कटाई या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पैडीक्योर और मैनीक्योर कराया जा रहा है। वहीं जबलपुर और आगरा से आए वेटरनरी विशेषज्ञ हाथियों के तमाम चैकअप और टेस्ट कर रहे हैं।
जयपुर के हाथी महोत्सव से मिली प्रेरणा
दरअसल जयपुर का हाथी महोत्सव विश्वविख्यात है जहां रजवाड़ों की शान के प्रतीक हाथियों का इसी तरह साज श्रृंगार और सेवा कराई जाती है। जयपुर में तो हाथियों के लिए विविध खेलों का आयोजन भी कराया जाता है।
बेहद तगड़ी याददाश्त होती है हाथियों की
बीते दिनों हाथियों द्वारा अपने महावत और सेवा में लगे कर्मचारी पर हमले में जान लेने की खबर ने वन विभाग को स्तब्ध कर दिया था। ऐसे में हाथियों से आत्मीय रिश्ता बनाने में ऐसे आयोजन बेहद मददगार साबित होते हैं। दरअसल मद में आने पर हाथी काफी उत्तेजित हो जाते हैं। ऐसे में तगड़ी याददाश्त वाले हाथियों को ऐसी सेवा सुश्रृता मद में भी याद रह जाती है। जिसके चलते वे अपने महावत और कर्मचारियों पर मद के दौरान भी जानलेवा हमला नहीं करते।
जंगल की जान हैं बाघ, तो शान हैं हाथी
जंगलों की देखरेख, दुर्गम इलाकों में निरीक्षण समेत अनेक कठिन कामों में हाथी वन विभाग के मददगार होते हैं। ऐसे में उनकी देखभाल के लिए कराए जा रहे हाथी महोत्सव बेहद प्रशंसा का कार्य है।
हाथियों के बुफे में रहे ये खास व्यंजन
हाथी महोत्सव के दौरान सभी गजराज को परोसे जाने वाले छप्पनभोग में उनके पसंदीदा गुड़, चना, गन्ना, नारियल, मक्का, पपीता, अनानास, केला और रोटियां परोसी जा रही हैं। इतना स्वादिष्ट भोजन पाकर सभी गजराज भी बेहद आल्हादित दिखाई पड़ रहे हैं। उनकी मद्धम पिच पर की जा रही मधुर चिंघाड़ इस बात का सबूत भी दे रही है।