कवि छोकर/ अंकुश मौर्य, BHOPAL. सीहोर (sehore) के मंडी थाने में पदस्थ रहे हेड कांस्टेबल कमल सिंह (head constable kamal singh) के निधन की बरसी बीत गई लेकिन सरकार की घोषणा के अनुसार उनको न तो शहीद (martyre) का दर्जा मिला और न ही उनके परिवार को कोविड योद्धा कल्याण योजना (covid yoddha kalyan yojna) के तहत 50 लाख की राशि। इसके लिए एक साल से राहत आयुक्त कार्यालय (relief commissioner office) भोपाल (bhopal) के चक्कर काट रहे कमल सिंह परिजन अकेले नहीं है। प्रदेश में कोराना महामारी (cororna pendamic)) के दौरान ड्यूटी करते हुए संक्रमण का शिकार होकर जान गंवाने वाले करीब 140 पुलिसकर्मियों (policemen) के परिजन ये पीड़ा झेल रहे हैं। सरकार ने ऐसे 152 पुलिस कर्मियों में से महज 10 के परिजन को ही योजना का लाभ दिया है।
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एक साल से राहत आयुक्त कार्यालय में धूल खा रही है फआइल
कमल सिंह की कोरोना महामारी की दूसरी लहर में 1 मई 2021 को ड्यूटी करते हुए वोविड-19 के संक्रमण से मौत हो गई थी। 20 मई को उनके परिजनों ने प्रदेश सरकार की घोषणा के मुताबिक कोविड योद्धा योजना के लिए आवेदन दिया। इस आवेदन में कोरोना संक्रमण से मौत के प्रमाणपत्र के साथ ही मांगे गए सभी दस्तावेज लगाए गए। लेकिन एक साल से कमल सिंह की शहादत की फाइल राहत आयुक्त कार्यालय भोपाल में धूल खा रही है।
हर दस्तावेज जमा कराने के बाद भी कोई जवाब देने को तैयार नहीं
कमल सिंह के पुत्र संजय सिंह कहते हैं कि उनके पिता की कर्तव्य निभाते हुए जान चली गई लेकिन सरकार की नजर में इसकी कोई कीमत नजर नहीं आती। कमल सिंह को शहीद का दर्जा देने और उनके परिजनों को कोरोना योद्धा के तहत दी जाने वाली 50 लाख की राशि के लिए सरकार ने जो दस्तावेज जरूरी किए थे वे सभी प्रशासन को दिए जा चुके हैं। कोरोना से मौत के प्रमाणपत्र के साथ ही जिले के एसपी का सत्यापन, कलेक्टर की मंजूरी, स्थानीय बीजेपी विधायक सुदेश राय का अनुशंसा पत्र भी राहत आयुक्त कार्यालय को भेजा जा चुका है। लेकिन इसके बाद भी इस परिवार को लाभ नहीं मिल सका है। कमल सिंह के नजदीकी रिश्तेदार नारायण सिंह मेवाड़ा कहते हैं कि सरकार अब उन लोगों को भूल चुकी है जिन्होंने आपदा के समय अपनी जान गंवाकर भी अपने फर्ज को अंजाम दिया। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर हम सभी की चप्पलें घिस गईं लेकिन अभी तक कोई भरोसेमंद जवाब नहीं मिला।
प्रशासन का रवैया बेपरवाह, सीएम से चर्चा करूंगाः विधायक
हेड कांस्टेबल कमल सिंह को कोविड योद्धा योजना के तहत शहीद का दर्जा और अन्य लाभ दिए जाने की सिफारिश करने वाले सीहोर के बीजेपी विधायक सुदेश राय भी इस मामले में प्रशासन के रवैये को बेपरवाह बता रहे हैं। राय ने द सूत्र संवाददाता को बताया कि वे खुद इस संबंध में प्रशासन को पत्र लिख चुके हैं,इसके बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई न होना उनकी समझ से परे हैं। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से चर्चा कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाएंगे।
सीहोर के दो और आवेदन राहत आयुक्त कार्यालय में अटके
ये मामला अकेले हेड कांस्टेबल कमल सिंह का नहीं है। बल्कि सीहोर के तीन अन्य मामले भी प्रशासनिक लालफीताशाही के चलते अटके हैं। सीहोर में सात पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत हुई थी। लेकिन इनमें से तीन के आवेदन खारिज कर दिए गए क्योंकि उनके परिजनों के पास कोरोना से मौत का प्रमाण नहीं था। लेकिन बाकी तीन पुलिसकर्मियों की शहादत भी प्रशासन मानने को तैयार नहीं है। इनमें कमल सिंह के अलावा सूबेदार बृजकिशोर शर्मा की मौत 7 दिसंबर 2020 को हुई। इनके अलावा एसआई सहदेव सिंह परिहार की 25 अप्रैल 2021 को ड्यूटी के दौरान कोरोना से ही मौत हुई। इनके परिजनों के पास भी सभी दस्तावेज हैं लेकिन इनकी फाइल भी सरकारी टेबल पर पड़ी धूल खा रही है। पीड़ित पुलिस कर्मियों के परिजन एक अन्य मनीष मेवाड़ा कहते हैं कि यदि जल्द ही इन परिवारों को उनका हक नहीं मिला तो पूरा क्षेत्र में आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी।
प्रदेश में भटक रहे हैं140 पुलिसकर्मियों के परिवार
कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी करते हुए संक्रमण से जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के कोविड योद्धा के आवेदन सिर्फ सीहोर जिले के ही नहीं अटके हैं। यदि पूरे प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो कोरोना की पहली और दूसरी लहर में कुल 152 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। लेकिन इनमें से अब तक महज दस पुलिसकर्मियों को ही कोविड कल्याण योद्धा योजना का लाभ मिल पाया है। बाकी आवेदन या तो रिजेक्ट कर दिए गए हैं या फिर फाइलों में धूल खा रहे हैं। कोरोना काल में ही जब इस संबंध में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि सरकार पूरी संवेदनशीलता से इन मामलों में न्याय करेगी। वहीं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा था कि नियमों के पेंच के कारण ये मामले अटके हैं। नियमों को शिथिल कर कोरोना योद्धाओं को उनका वाजिब हक दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी अब तक स्थिति जस की तस है।
राहत आयुक्त बोले, नियमों के तहत ही दिया जाएगा लाभ
बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में कोरोना महामारी की पहली लहर यानी 2020 में ये ऐलान किया था कि जो भी कर्मचारी कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं यदि उनकी संक्रमण से मौत होती है तो सरकार उनके परिजनों को कोविड योद्धा कल्याण योजना के तहत 50 लाख की राशि देगी। स्वास्थ्यकर्मियों के साथ पुलिसकर्मियों को भी कोविड योद्धा माना जाएगा। यदि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के दौरान कोरोना से मौत होती है उनके परिजनों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। लेकिन राहत आयुक्त संजय गोयल का कुछ और ही कहना है। इस बारे में द सूत्र के सवाल पर संजय गोयल ने बताया कि नियमों के तहत ही इस योजना का मुआवजा परिजनों को दिया जा रहा है। इसका लाभ सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों के परिजनों के दिया जा सकता है जो महामारी के दौरान कोरोना संक्रमित मरीज के सीधे संपर्क में आए थे।
पुलिस मुख्यालय ने खड़े किए हाथ
इस मामले में पुलिस मुख्यालय लाचार नजर आ रहा है। पीएचक्यू की कल्याण शाखा के एडीजी संजय कटारिया ने स्पष्ट किया कि कोरोना आपदा में किसी पुलिसकर्मी की मृत्यु होने पर उसको मुआवजा देना सीधे जिला कलेक्टर और राहत आयुक्त के बीच का मामला है। कलेक्टर की सिफारिश पर ही राहत आयुक्त कार्यालय कोविड कल्याण योजना का लाभ देता है। यदि इसमें कहीं गलती हो रही है तो कलेक्टर को इसमें फॉलोअप करना चाहिए। पुलिस मुख्यालय की इसमें कोई भूमिका नहीं है। पुलिस मुख्यालय के संज्ञान में जब ये मामले आए थे तब सरकार को इस संबंध में लिखा गया था।