ये कैसी सरकार ,मंत्रियों से लेकर बीजेपी कार्यकर्ता तक सब नाखुश ,हरेक की पीड़ा ,काम ही नहीं हो रहे

author-image
Dev Shrimali
एडिट
New Update
ये कैसी सरकार ,मंत्रियों से लेकर बीजेपी कार्यकर्ता तक सब नाखुश ,हरेक की पीड़ा ,काम ही नहीं हो रहे

देव श्रीमाली  GWALIOR. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए अब महज चौदह महीने का समय बचा है। अगले साल नवंबर में राज्य की जनता को नयी सरकार चुनना है। इस बीच कांग्रेस जहाँ अपने संगठन को मजबूत करने और सरकार की नाकामयाबियों को ढूंढने की कवायद में जुटी है वहीं बीजेपी के नेता ही उन्हें इस काम में मदद कर रहे है। पहले शिवराज सरकार के एक मंत्री ने सीधे चीफ सेक्रेटरी पर निशाना साधते हुए बाकायदा पत्र ही लिख दिया। उनकी शिकायत थी कि गुना और शिवपुरी के अफसर तक उनकी नहीं सुनते। इसके बाद अशोकनगर जिले के एक मंत्री ने अपने जिले की आंगनवाड़ियों के घोटाले को उजागर कर दिया। ग्वालियर में प्रभारी मंत्री ने जब अपनी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई तो वहां सब पिल पड़े और वहां हर नेता ने दुखड़ा रोया कि कोई काम हो नहीं रहा ,अफसर सुनते नहीं है। अब अगर इन सबको इकठ्ठा करके देखें तो साफ है कि चुनावी वर्ष में बीजेपी को कांग्रेस से पहले बीजेपी कार्यकर्ताओं से भी मुकाबला करना  पड़ेगा। 



पार्टी में नाराजगी और घमासान 



सत्ताधारी पार्टी होने के नाते अब जबकि चुनाव में सिर्फ चौदह माह का समय शेष बचा है तो सरकार ग्वालियर में विकास कार्यों को बताने के लिए मेगा इवेंट कर रही है। हाल ही में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को बुलाया गया। यहाँ आईएसबीटी और एलिबेटेड  रोड सहित करोड़ों रुपये लागत वाले कामों का भूमिपूजन हुआ और कुछ तैयार कामों का लोकार्पण भी किया गया। इस आयोजन की सूची में विदिशा से लेकर भिंड,शिवपुरी, गुना ,अशोकनगर और मुरैना के काम भी जोड़ लिए गए थे ताकि खर्च का आंकड़ा और बड़ा और प्रभावी हो जाए। आयोजन हुआ भी भव्य लेकिन इसके पहले ही यहाँ इसका श्रेय लेने की जंग छिड़ गयी। उस रोज प्रभारी मंत्री ने कुछ अखबारों को विज्ञापन देकर साबित करने की कोशिश की कि यह सब कार्य केंद्रीय नगर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयासों का सुफल है। बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता इस विज्ञापन से बहुत नाराज थे क्योंकि इसमें क्षेत्रीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर को तो इग्नोर ही कर दिया गया था। आयोजन के बाद कामों को लेकर सोशल मीडिया पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों के बीच 'श्रेय-वार"' ही छिड़ गया। ग्वालियर से भिंड होकर यूपी के इटावा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन की घोषणा करते समय गडकरी ने बोला कि इसकी मांग तोमर ने की थी और मैं इसकी मंजूरी देता हूँ। इसके साथ ही तोमर समर्थकों ने जब यह पोस्ट डालीं तो सिंधिया समर्थक भी तत्काल सक्रिय हुए और उन्होंने इसका श्रेय ही  सिंधिया को दिया बल्कि उसके साथ सिंधिया द्वारा अगस्त में गडकरी को इस बावत लिखी चिट्ठी भी पोस्ट कर तोमर समर्थकों को चुनौती दे डाली। 



मंत्रियों ने बिगाड़ा माहौल 



बीजेपी में सार्वजनिक रूप से अपनी सरकार या नौकरशाही के खिलाफ टीका-टिप्पणी करने की परम्परा नहीं है लेकिन बीते एक माह से लीक से हटाकर सरकार खुद उनके मंत्रियों के ही निशाने पर आ रही है। सबसे पहले केबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने एक पत्र लिखा।  इसको लेकर बाकायदा मीडिया में बयान दिया और निशाना भी सीधे चीफ सेक्रेटरी इक़बाल सिंह बैंश पर साधा। सबको पता है कि वे सीएम शिवराज सिंह के नजदीकी है। हालाँकि इसके पीछे की असली बजह उनकी यह पीड़ा थी कि उनके गृह जिले गुना हो या प्रभार वाले जिला शिवपुरी वहां के अफसर उनकी बात न सुनते हैं और न मानते हैं।  उन्हें बाईपास  कर फैसले लिए जाते है और शिकायत करने के लिए चीफ सेक्रेटरी को फोन लगाओ तो वे मंत्रियों तक का कॉल रिसीव नहीं करते। मंत्री की इस बयानबाजी से न केवल सरकार बल्कि बीजेपी भी हतप्रभ रह गयी। हालांकि इस मामले में सत्ता और संगठन दोनों ने खामोश रहने की नीति अपनाई और सीएम ने सिसोदिया से बात करके उन्हें बयान देने के लिए मनाया फिर भी सिसोदिया ने सिर्फ इतना कहा - मेरी सीएम साहब से बात हो गयी है।  जो इश्यू थे वे निपट गए है अब कोई शिकायत नहीं है।  लेकिन सबको पता है कि यह दरारों पर सिर्फ कागज़ चिपकाने जैसा था। 



अब एक और  मंत्री ने साधा निशाना 



 एक और मंत्री हैं खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ।  उन्होंने भी  एक चिट्ठी लिखकर सनसनी फैला दी।  पन्ना लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सांसद है। जाहिर है इतने हाई प्रोफाइल नेता के क्षेत्र में नौकरशाही उनके हिसाब से ही काम करती होगी। जब कांग्रेस पोषण आहार घोटाले को लेकर एमपी विधानसभा में हंगामा कर सरकार पर निशाना साध रही थी उसी बीच विधायक और शिवराज सरकार में राज्यमंत्री ब्रजेन्द्र  ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने एक पत्र बायरल कर सरकार और पार्टी के सामने मुसीबत कर दी। इसमें उन्होंने बताया कि लोगों नेमुझे बताया कि पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील की सौ से ज्यादा आंगनबाड़ी में विगत छह माह से खाद्यान ही नहीं बँटा।  उन्होंने शिक्षामंत्री इन्दर सिंह परमार को चिट्ठी लिखकर इस मामले की जांच की मांग की। 



ग्वालियर में हर कोई असंतुष्ट 



ग्वालियर में पार्टी कार्यकर्ताओं के असंतोष का खामियाजा 2018 के विधानसभा चुनावों में जिले की पांच में से चार सीटें हारकर भुगत चुकी है। तब ये सीटें बीजेपी से सिंधिया समर्थक कांग्रेसियों ने छीनीं थीं। इसके चलते ही बीजेपी राज्य में चौथी बार अपनी सरकार नहीं बना पायी थी और फिर जब सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए तो कमलनाथ सरकार तो गिर ही गयी,बीजेपी को लगा था कि अब उसकी ताकत दुगनी हो जायेगी लेकिन उप चुनाव में भी बीजेपी तीन में से सिर्फ एक सीट ही जीत सकी। तगड़ा झटका विगत दिनों हुए नगर निगम चुनावों में लगा जब 57 बाद बीजेपी का मेयर प्रत्याशी 29 हजार वोट से हार गयीं। यह बीजेपी को तगड़ा झटका था और इसके पीछे असली वजह कार्यकर्ताओं में व्याप्त  असंतोष और निराशा थी। 



प्रभारी मंत्री की बैठक में फूटा गुस्सा 



नगर निगम चुनावों की करारी हार और चुनावी तैयारियां शुरू होने के कारण प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने कुछ दिनों पहले बीजेपी से जुड़े  सभी जन प्रतिनिधियों और संगठन के वरिष्ठ नेताओं को एकसाथ बिठाकर एक वृहद बैठक की।  बैठक में ऐसा लगा मानो कही कुछ हो ही नहीं रहा। हर कोई यह कहते दिखा कि कहीं कुछ हो ही नहीं रहा। इस बैठक में अधिकारी भी बैठे थे लेकिन सबके सामने नेताओं ने अपनी पार्टी के सुशासन  और विकास के दावों की पोल खोली। बैठक में कहा गया कि हमारा शहर स्मार्ट सिटी है जबकि यहाँ सारी सड़कें खुदी पड़ीं है और लोगों का राह चलना मुश्किल है। आयुष्मान बन नहीं रहे अधिकारियों के चक्कर लगा -लगाकर लोग परेशान हैं जब कार्ड ही नहीं मिलेगा तो भला लोगों को इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा। स्वय,म बीजेपी के जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी ने ख़राब सड़कों और हितग्राहियों की सूची अपडेट न होने पर चिंता जाहिर की। सिंधिया समर्थक दो पूर्व विधायक इमरती देवी और मुन्नालाल गोयल ने कहाकि जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है। ख़ास बात ये कि अधिकारी नेताओं का मुंह ताकते रहे।  एक अधिकारी ने दूसरे से कहा कि  आज की बैठक में ऐसा लगा मानो हम सरकार के पक्ष नहीं किसी विपक्षी दल के नेताओं की बैठक में आये हैं। 



अगर माहौल नहीं सुधरा तो बीजेपी के लिए चिंता ही चिंता 



बीजेपी के संगठन से वर्षो तक जुड़े नेता यह नज़ारा देखकर हतप्रभ है। उनका कहना है कि बीजपी शुरू से ही कैडरबेस पार्टी रही है और उसके असंतोष की खबरें कभी बाहर आतीं ही नहीं थी लेकिन सब सड़कों  एकजुटता नहीं बल्कि असंतोष की बातें ही सुनने को मिलती हैं।  चुनावी वर्ष में यह नजारा चिंताजनक है और इसमें तत्काल बदलाव लाना चाहिए।  पार्टी के नेताओं को कार्यकर्ताओं का असंतोष और निराशा तत्काल दूर करना चाहिए अन्यथा बड़ा नुक्सान होगा। 



कांग्रेस का तंज 



बीजेपी की दशा पर कांग्रेस तंज कस रही है।  कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह मजाक करते हुए कहते  है बीजेपी ने हमारी सरकार ही नहीं छीनी बल्किआरोप  लगाने के मौके भी छीन लिए है क्योंकि सरकार नकारा है , कोई काम नहीं हो रहा, शहर की सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं ,नौकरशाही हाबी  है,अफसर न मंत्रियों की सुनते है न आम जनता की,आयुष्मान कार्ड नहीं बन रहे और आंगनबाड़ियों में छह -छह माह से पोषण आहार नहीं बंट रहा है ये कांग्रेस के आरोप नहीं बल्कि बीजेपी के नेताओं और सरकार की स्वीकरोक्ति है। अब ऐसी सरकार के बारे में और क्या कहें जिसके कैबिनेट  मंत्री का फोन चीफ सेक्रेटरी नहीं उठाते और कलेक्टर को किसी केंद्रीय मंत्री का अदना समर्थक सार्वजनिक रूप से धकिया देता हो। सब जगह अराजकता ही अराजकता है लेकिन जनता मजबूर है क्योंकि वह इस सरकार को तो नवम्बर 2023 में ही विदा कर सकेगी जब चुनाव होंगे।   


शिवराज सिंह चौहान SHIVRAJ SINGH CHOUHAN BJP बीजेपी Madhya Pradesh government Jyotiraditya Scindia ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश सरकार Mahendra Singh Sisodia महेंद्र सिंह सिसोदिया