BHOPAL. विदिशा के लटेरी में 9 अगस्त को वनकर्मियों ने आदिवासियों पर फायरिंग कर दी थी जिसमें 35 वर्षीय आदिवासी युवक चैन सिंह भील की मौत हुई थी और कई अन्य युवक घायल हुए थे। इस मामले को लेकर सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मृतक और घायलों के परिजन को मुआवजे का ऐलान कर दिया था और आरोपी वनकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले को नागरिक समूह ने जांच की है जिसकी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में सरकारी जांच और वनकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई में शिथिलता बरते जाने पर सवाल उठाए गए हैं।
सरकारी कार्रवाई पर सवाल
मंगलवार को नागरिक समूह के माधुरी और चित्तारूपा पालित ने भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि शुरुआत में प्रशासनिक सक्रियता से आदिवासी समाज और न्यायपसंद नागरिक आश्वस्त हुए थे लेकिन कुछ ही दिन में वनकर्मी इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए पीड़ितों को 'तस्कर' बताते हुए कार्रवाई समाप्त करने के लिए आंदोलन करने लगे। जिससे दोषियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया थम गई। कार्रवाई के तौर पर तीन वनकर्मियों को सिर्फ निलंबित ही किया गया। मामले की जांच के लिए सरकार ने रिटायर्ड जज वीपीएस चौहान की अध्यक्षता में एकल जांच आयोग का गठन किया है जिसने जांच शुरू भी नहीं की है।
वनकर्मियों पर पथराव के सबूत नहीं
जांच करने वाले नागरिक समूह का कहना है कि वनकर्मियों का दावा है कि उन पर पथराव हुआ था लेकिन इसका कोई भी सबूत नहीं है। कोई भी वनकर्मी घायल नहीं हुआ। पथराव की परिस्थिति में भी उन्हें चेतावनी देकर हवाई फायरिंग करनी थी लेकिन उन्होंने चैन सिंह के मुंह पर टॉर्च की रोशनी मारकर सीधी फायरिंग की। उनके फेफड़े और पेट में गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। उसके बाद वनकर्मियों ने कई फायर किए जिसमें चैन सिंह के भाई समेत कई आदिवासी युवक घायल हुए थे।