सचिन त्रिपाठी, SATNA. सतना की उचेहरा तहसील के अतरबेदिया के किसानों के सब्र का बांध फूट पड़ा। कलेक्ट्रेट पहुंचकर किसानों ने अर्धनग्न होकर नारेबाजी की। प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल हुईं। 'भूमि हमारी अधिकार तुम्हारा नहीं चलेगा' जैसे किसानों ने नारे लगाए।
कंपनी ने किसानों के खेतों में लगाए हैं बिजली के टॉवर
जानकारी के मुताबिक अतरबेदिया के किसानों के खेत पर पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने बिजली के टॉवर खड़े कर दिये हैं लेकिन मुआवजा नहीं दिया। इस बात को 8 साल हो गए। इन सालों में पीड़ित किसानों ने कई मर्तबा अधिकारियों को ज्ञापन दिया। लेकिन दुत्कार के अलावा कुछ नहीं मिला। इस सबसे से परेशान होकर किसानों ने खेतों में लगाए गए टॉवरों पर चढ़कर आंदोलन तक किया लेकिन हमेशा की तरह उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।
द सूत्र ने उठाया था मुद्दा
इस मुद्दे को द सूत्र ने 30 अगस्त 2022 के अपने खास कार्यक्रम सीएम हेल्पलाइन में भी उठाया था। कलेक्ट्रेट पहुंचे किसानों ने इस बार टॉवर में चढ़ कर जान देने की बात भी कही।
अंतरबेदिया गांव के किसानों को नहीं मिला था मुआवजा
साल 2012 में 765 KV चमराडोल-सतना लाइन 2 का काम शुरू हुआ था। जो कि साल 2014 में पूरा हो गया। इस लाइन को खींचने के दौरान कुछ गांव के किसानों को मुआवजा दिया गया था लेकिन अतरबेदिया के किसान वंचित रह गए। इसी भेदभाव की लड़ाई यहां के किसान लड़ रहे हैं। सुभाष पांडेय की लगाई गई आरटीआई में केंद्रीय सूचना आयोग ने इस लाइन के मुआवजे के बारे में बताया कि सतना जिले के 733 केस में 22 करोड़ 52 लाख 16 हजार 655 रुपये दिए गए हैं।
10 लाख रुपए मुआवजा देने का हुआ था ऐलान
किसान अमित पांडेय बताते है कि 2012-13 में खेत में टावर गाड़ दिया गया था। तब फसल क्षतिपूर्ति के लिए 1 लाख रुपया दिया गया था। यह भी कहा गया था कि 10 लाख रुपया बतौर मुआवजा मिलेगा लेकिन आज तक नहीं मिला। जबकि नजदीक के गांव बिहटा में 2014-15 में तब के कलेक्टर ने 12 लाख रुपए प्रति टॉवर किसानों को पैसा दिया गया है। कई अर्जियां दी गईं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए 2 साल पहले से टॉवर में चढ़ कर विरोध कर रहे हैं। अभी मार्च में 12 दिन के लिये चढ़े थे।