डाउन सिंड्रोम रोगी 7 साल के बेटे के लिए पिता ने एवरेस्ट की चोटी पर लहराया तिरंगा

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Shivasheesh Tiwari
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डाउन सिंड्रोम रोगी 7 साल के बेटे के लिए पिता ने एवरेस्ट की चोटी पर लहराया तिरंगा

Indore. बेहद गंभीर रोग से पीड़ित एक बच्चे ने जज्बा और जुनून की मिसाल पेश की है। जन्म से ही डाउन सिंड्रोम (down syndrome) से पीड़ित 7 वर्षीय अवनीश तिवारी (Avneesh Tiwari) 5500 मीटर की चढ़ाई चढ़ एवरेस्ट (Everest) के काले पत्थर (kaale patthar) पर पहुंच गया। अपने बेटे की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए पिता आदित्य तिवारी (Aditya Tiwari) ने भी पूरा साथ देते हुए उसके हौंसलों को पंख दिए। एवरेस्ट बेस कैंप से 5500 मीटर ऊपर जाकर तिरंगा फहराया (Tricolor hoisted)। पिता-पुत्र की इस जोड़ी को हिमालय की चढ़ाई करने पर अब खूब प्रशंसा मिल रही है। डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक रोग है, जिससे शारीरिक और मानसिक व्याधियां होती हैं।



पीड़ा और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हौसला कायम रखा



ऐसे गंभीर रोग से पीड़ित होने के बाद भी अवनीश ने हौसला कायम रखा। पिता अदित्य तिवारी ने न केवल अपने बेटे को उंगली पकड़कर चलना सिखाया, बल्कि उसके सपनों को मंजिल पर पहुंचाने के लिए हिमालय (Himalayas) की कठिन चढ़ाई में भी सहायक बने। आदित्य व अवनीश 13 अप्रैल को काठमांडू के लिए रवाना हुए थे। माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई दोनों ने 14 अप्रैल को शुरू की थी। 20 अप्रैल को दोनों एवरेस्ट बेस कैंप से 5500 मीटर ऊपर काला पत्थर पर्वत पर पहुंच गए और यहां तिरंगा भी फहराया।



समाज को दिया संदेश



आदित्य ने बताया कि वे अवनीश के माध्यम से समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि डाउन सिंड्रोम पीड़ित को भी यदि सही परवरिश और मार्गदर्शन मिले तो वे हर कार्य कर सकते हैं। मैं जब अवनीश को अन्य स्थानों पर ट्रेकिंग (Trekking) पर लेकर गया तो उसे उसमें आनंद आया और एवरेस्ट पर चढ़ने का हमने मन बनाया। मौसम और चढ़ाई के साथ अवनीश की सेहत भी चुनौती से भरी थी, इसलिए मैं अपने साथ न केवल उसके लिए दवाई बल्कि दूध, भोजन और नेब्युलाइजर मशीन तक साथ लेकर गया था, ताकि उसे कोई दिक्कत न आए।



क्या होता है डाउन सिंड्रोम



मेडिकल साइंस के अनुसार डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक रोग है, जो गर्भ में ही हो जाता है। इससे शारीरिक और मानसिक व्याधियां उत्पन्न होती हैं।



सलाम है ऐसे पिता को



आदित्य तिवारी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। पांच साल पहले उन्होंने अवनीश को गोद लिया था। आदित्य के मुताबिक मैंने जनवरी 2016 में अवनीश को गोद लिया था, जब मैं 26 साल का था और अविवाहित था। मेरे बेटे को डाउन सिंड्रोम है। इससे पहले हम जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग और पहलगाम गए हैं, दोनों समुद्र तल से 2500 मीटर ऊपर है। लद्दाख भी जा चुके हैं। आदित्य ने बताया कि हम एवरेस्ट चढ़ना चाहते थे, लेकिन मौसम प्रतिकूल होता गया और हमें काला पत्थर से ही लौटने का निर्णय लेना पड़ा। अवनीश से जितना चलते बना वह चला बाकी मैंने उसे पीठ पर बैठाकर चढ़ाई की। आदित्य ने दावा किया है कि अवनीश पहला ऐसे बच्चा है जो डाउन सिंड्रोम पीड़ित होने के बावजूद इस ऊंचाई तक पहुंचा है। बता दें कि डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक रोग है। इससे शारीरिक और मानसिक व्याधियां होती हैं। 


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