राजीव उपाध्याय, JABALPUR. जबलपुर शहर में सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स सुरक्षा के मापदंड को धता बताते हुए चल रहे हैं। इन सेंटर्स में हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं लेकिन अधिकतर सेंटर्स में दुर्घटना से बचने कोई उपाय नहीं किए गए हैं। न्यू मल्टी स्पेशयलिटी हॉस्पिटल में आग लगने से 8 लोगों की मौत के बाद प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों की जांच तो शुरू कर दी लेकिन कोचिंग सेंटर्स पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में द सूत्र ने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी से बात की तो उन्होंने इस सुझाव की सराहना की और अन्य भवनों की जांच के साथ कोचिंग सेंटर्स की भी जांच को जोड़ा।
अहमदाबाद, जयपुर में घटना घट चुकी
सूरत में 25 मई 2019 को एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से करीब 23 बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद कुछ समय तक देशभर में कोचिंग सेंटर्स के बारे में नियमों की बात होती रही लेकिन वक्त बीतने के साथ सब कुछ ठंडा पड़ गया। उस समय अनेक कोचिंग संस्थानों पर नोटिस और जुर्माने की कार्रवाई प्रशासन ने की थी, लेकिन समय बीतने के साथ कोचिंग संस्थान फिर ढुलमुल रवैया अपना चुके हैं।
नियमों को ताक पर रखकर चल रहे कोचिंग सेंटर्स
नियमों को ताक पर रखकर जबलपुर सहित अन्य जिलों में कोचिंग सेंटर्स चल रहे हैं। नियमानुसार सेंटर जहां चल रहा है वहां सड़क की चौड़ाई 40 फीट होनी चाहिए। संस्थान में अग्निशमन यंत्र लगे हों। उन्हें चलाने के लिए ट्रेंड स्टाफ हो। संस्थान का फायर ऑडिट होना चाहिए। विद्युत सुरक्षा विभाग के द्वारा समय-समय पर जांच होना चाहिए। लेकिन ये सब नियम केवल कागजों पर ही सीमित हैं, जिन पर जमा धूल तक को हटाने की जहमत सरकारी महकमे नहीं उठाते, नियमों पालन की तो बात ही छोड़ दीजिए।
कलेक्टर ने द सूत्र के सवाल की सराहना की
जिला कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने द सूत्र के सवाल की सराहना करते हुए सवाल को एकदम वाजिब ठहराया। उन्होंने कहा कि चूंकि वर्तमान में हादसा अस्पताल में हुआ है इसलिए हमारा फोकस अभी अस्पतालों पर है लेकिन यह निरीक्षण और कार्रवाई पूरी होने के बाद अगला नंबर कोचिंग संस्थानों, शॉपिंग मॉल, हाईराइज बिल्डिंग और ऐसे हर भवन जहां लोग ज्यादा तादाद में जुटते हैं, वहां निरीक्षण उपरांत नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।