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Guna. जिले की बमोरी तहसील के अंतर्गत आदिवासियों पर अत्याचार थमने का नाम नही ले रहा है। कहीं सरकारी महकमा उन्हें प्रताडि़त, मारपीट और बर्बरता पर उतारू है तो वहीं दबंग लोग भी उनसे आगे हैं। आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचारों को रोकने की जगह शासन-प्रशासन अप्रत्यछ बढ़ावा दे रहा है। इसी के चलते धनोरिया में रामप्यारी बाई को दबंगों ने जिंदा जला दिया। इसके बाद दूसरे सप्ताह में वन विभाग के बीट गार्डों ने जैतपुर गांव के एक आदिवासी युवक के साथ बेरहमी के साथ मारपीट कर डाली। इसके बाद ग्राम बिसोनिया गुना तहसील में आदिवासियों की जमीन हड़पने को लेकर मारपीट की घटना सामने आई है। उक्त घटनाओं के बाद बुधवार को वन विभाग का अमला लाव लश्कर के साथ ग्राम सिमरोद पहुंचा, जहां करीब 4 दशक से निवास कर रहे आदिवासी व्यक्ति के प्रधानमंत्री आवास पर जेसीबी चलाकर धराशायी कर दिया। दरअसल बालकिशन भिलाला अपने पक्के मकान के सपनों को संजोकर बैठा था और बड़ी मुश्किल से सरपंच-सचिव के चक्कर लगा-लगाकर उसे प्रधानमंत्री आवास मिला था कि मकान पर छत डालने के लिए किश्त का इंतजार कर रहा था। ऐसी स्थिति में किसी के इशारे पर वन विभाग की टीम दलबल के साथ पहुंची और उसके मकान को जेसीबी से धराशायी कर दिया। हालांकि बालकिशन ने फॉरेस्ट अमले से काफी मिन्नतें की और हाथ-पैर जोड़े, लेकिन अमले ने उसकी एक नहीं सुनी। इस दौरान जो भी उनसे अनुनय विनय करते दिखा तो बंदूक तानकर भगा दिया। एक तरफ वन अमला और आदिवासियों के बीच काफी तू-तू-मैं-मैं होती रही। वहीं दूसरी तरफ कुटीर मालिक बालकिशन भिलाला अपने मकान को तहस-नहस देख और पक्के मकान के सपनों को टूटता देख पेड़ पर फांसी लगाकर झूल गया। यह सब कुछ देख वन अमला बालकिशन को बचाने की जगह भागने लगा। जिसे परिजनों ने अपनी सतर्कता के चलते पेड़ से जल्द ही उतार लिया, नहीं तो बड़ी घटना होना तय थी। इस घटनाक्रम के जानकारी मीडिया के पास आते मामले का खुलासा किया गया, वरना प्रशासन ने तो इसे पूरी तरह छिपा ही लिया था।
वन विभाग के नुकसान की भरपाई राजस्व को भरनी पड़ी
खास बात तो ये है कि सरकार आदिवासियों के संरक्षण की बात कर रही है। यहां तक कि उन्हें वन भूमि पर बसाने के लिए भी पट्टे वितरित कर रही है। वहीं दूसरी ओर विभाग आदिवासियों के सपनों को तहस-नहस करने में लगा है। इससे स्पष्ट होता कि वन महकमा दबंगों को संरक्षण दे रहा था तो गरीबों के आशियाने उजाडऩे में लगा हुआ है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि घटना कहीं तूल न पकड़े इसको लेकर तहसीलदार घटनास्थल पर पहुंचे और वन अमले के नुकसान की भरपाई एक लाख रूपये नगद बालकिशन को प्रदान कर दिलाशा दी गई, जिससे वह कहीं शिकवा-शिकायत न करे। बालकिशन के पुत्र रमेश ने बताया कि उनके पिता को बड़ी मुश्किल से परिजनों ने बचाया है। हम 40 साल से झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं और उन्हें आज तक शासन ने पट्टा नही दिया, क्योंकि यहां राजीतिक पहुंच पकड़ वाले लोगों को ही पट्टे दिए गए हैं। मकान तोडऩे के दौरान वनकर्मी महिला-पुरूषों पर बंदूक तानने के साथ मारपीट भी की गई। उक्त घटना के संबंध में तहसीलदार गौरीशंकर वैरवा से फोन पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नही किया।