बालाघाट में झाड़ियों से वनविभाग ने बरामद की बाघ की खाल, बैहर रेंज में शिकार की आशंका

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Rajeev Upadhyay
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बालाघाट में झाड़ियों से वनविभाग ने बरामद की बाघ की खाल, बैहर रेंज में शिकार की आशंका

Balaghat, Sunil Kore. प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में कूनों अभयारण्य में चीतों की आमद पर उत्सव जैसा माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन इस बीच टाईगर स्टेट मध्यप्रदेश से एक बुरी खबर भी आई है। बालाघाट जिले के कान्हा नेशनल पार्क से लगे बैहर वन परिक्षेत्र अंतर्गत वन विभाग के ऑफिस के पास झाड़ियों में छिपाकर रखी गई बाघ की खाल को वन विभाग की टीम ने  बरामद किया है। वन विभाग की टीम द्वारा पशु चिकित्सक से खाल का परीक्षण करा गया। जहां पशु चिकित्सक डॉ. आशीष कुमार वैद्य द्वारा, खाल को नर बाघ की होना बताते हुए जांच के लिए सैंपल लेने की बात कही गई है। प्रथम दृष्टया मामला शिकार का होना प्रतीत हो रहा है। फिलहाल वनविभाग की टीम इसे पूरे मामले की जांच कर रही है। 




    जानकारी अनुसार वन विभाग को मुखबिर से सूचना मिली थी कि बैहर मुक्की मार्ग पर कान्हा नेशनल पार्क क्षेत्र से लगा वनविभाग के कार्यालय के पास किसी व्यक्ति द्वारा झाड़ियों में वन्यप्राणी बाघ की खाल को छिपाकर रखा गया है। 




    सूचना पर अमले ने कार्यवाही करते हुए खाल को बरामद किया। इस संबध में जानकारी देते हुए पश्चिम बैहर के परिक्षेत्र अधिकारी कृष्णा मरावी इस मामले में अभी आरोपी अज्ञात हैं। मामले की विवेचना की जा रही है। खाल को देखने के दौरान कुछ ऐसे पाईंट मिले है, जिससे लगता है कि बाघ का गोली मारकर शिकार किया गया है। मामले की जांच जारी है। वहीं पशु चिकित्सक डॉ. आशीष कुमार वैद्य का कहना है कि बाघ की खाल किसी नरबाघ की है जो करीब डेढ़ से दो साल का उम्र का होगा। होगी। उनके द्वारा खाल का परीक्षण कर डीएनए टेस्ट के लिए सेंपल लिए गए हैं। जिसे जबलपुर वेटनरी कॉलेज भेजा जायेगा, जहां वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट जांच कर रिपोर्ट देगे। 




    जिले में बाघो की संख्या बहुतायत में है, यदि प्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा मिला है तो उसमें बालाघाट जिले में बाघों की संख्या का एक बड़ा योगदान है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। वहीं जिले के जंगलो मे बाघों के बहुतायत में पाये जाने के कारण, शिकारियों के लिए भी जिले में बाघ का शिकार आसान हो गया है। जो कहीं ना कहीं बाघो की सुरक्षा में लगे अमले की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। विगत समय मंे बाघ के शिकार के कई मामले सामने आते रहे। जो दर्शाते है कि जिले में बाघों की संख्या के चलते शिकार के मामले बढ़े है। जिससे वन्यजीव प्रेमी भी नाराज है।


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