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संजय गुप्ता, INDORE. समाजवादी पार्टी के स्थापक मुलायम सिंह यादव का आज निधन हो गया है। इंदौर के पूर्व सांसद कल्याण जैन से उनके आत्मीय संबंध थे। मुलायम सिंह जब भी इंदौर आते थे, वह पूर्व सांसद जैन के घर जरूर जाते थे। पूर्व सांसद कल्याण जैन ने उनके साथ बिताए पलों को याद करते हुए द सूत्र से कहा कि वह तीन बार इंदौर आए और तीनों बार मेरे घर पर ही भोजन किया। वह दाल-बाफले बड़े चाव से खाते थे। इंदौर या आस-पास के जिलों में जब भी कोई कार्यक्रम होता, तो वह घर में खाना खाने जरूर आते। अमर सिंह समेत अन्य नेताओं से कहते थे कि कल्याण जी की पत्नी के हाथ का बना खाना नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया।
बेटे की शादी में आए थे पहली बार इंदौर
पूर्व सांसद कल्याण जैन बताते हैं कि यूपी के सीएम रहते हुए मुलायम सिंह साल 1994 में मेरे बेटे की शादी अटेंड करने आए थे। इसके बाद भी वे कई बार मेरे घर आए। हर बार घर का ही खाना खाया। जब भी घर आते पूरे परिवार के सदस्यों से बात करते थे। एक बार तो मेरे दस साल के पोते ने उनका नाम ले लिया- 'मुलायम सिंह यादव' तो उन्होंने उसे गोद में उठा लिया और गाल पर चूम लिया। साल 2019 में अंतिम मुलाकात हुई थी, पोते की शादी का आमंत्रण दिया था, उनका आना तय था। लेकिन एक दिन पहले फोन आया, तबीयत खराब है, आ नहीं सकूंगा।
लखनऊ से फोन करते तो पूछते- बेटा कैसा है?
कल्याण जैन ने बताया कि जब भी मध्यप्रदेश का दौरा खत्म करते और लखनऊ लौटते, तो वहां से उनका फोन आता। पूछते कि अन्नादुराई (बेटा) कैसा है? परिवार के अन्य सदस्य कैसे हैं? कल्याण जैन के बेटे और पत्रकार अन्नादुराई ने बताया कि मुलायम सिंह यादव के लिए पार्टी का हर कार्यकर्ता परिवार के सदस्य जैसा था। प्रत्येक कार्यकर्ता के परिवार के हर सदस्य को वह अपना परिवार ही समझते थे। मुलायम सिंह यादव जैसे नेता जाते नहीं हैं, हमारी यादों में हमेशा बने रहते हैं।
लीडर वह जो धारा के प्रवाह के विपरीत भी जाने का दम रखे
सांसद जैन ने द सूत्र को बताया कि बाबरी मस्जिद के समय उन्होंने कहा था परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा, जो आएगा वह बच नहीं पाएगा। उन्होंने उस समय जो किया संविधान की रक्षा के लिए किया। नेता वह होता है, जो जनता को साथ रखने की क्षमता रखे। तात्कालिक बुराई होती है लेकिन धारा विपरीत प्रवाह में चलने वाला ही असली लीडर बनता है। उनके इसी वाक्य ने नेताजी बनाया।
सही मायने में वह धरतीपुत्र थे
साल 1992 में पार्टी बनाने की घोषणा की, तब मैंने कहा कि मैं आपके साथ हूं। दो दिन पहले स्थापना सभा के लिए गया था। उनकी सबसे बड़ी खूबी थी कि वह जमीनी नेता थे, हर कार्यकर्ता से वह प्यार से मिलते थे। कल्याण जैन ने कहा कि मैं उनसे चार साल बड़ा हूं। हमेशा कहता कि नेताजी आप सब कर सकते हो। एक बार तो उनका कार्यक्रम था और वे बोले कि मैं अब बूढ़ा हो गया हूं। अब नहीं आ सकूंगा। तब मैंने ही उनसे कहा था कि मैं तो आपसे भी चार साल बड़ा हूं, आप आ सकते हैं। और वे आए भी। कार्यक्रम में पूरे जोश के साथ भाग लिया। वे सही मायने में धरतीपुत्र थे।