Rewa : विधानसभा अध्यक्ष के घर में रार, जिला पंचायत के रण में बेटा और भतीजा

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Rakesh Mishra
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Rewa : विधानसभा अध्यक्ष के घर में रार, जिला पंचायत के रण में बेटा और भतीजा

Rewa. मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष के घर की कलह अब मैदान में आ चुकी है। जिला पंचायत के रण में इस बार विधानसभा स्पीकर के इकलौते बेटे राहुल गौतम और भतीजे पद्मेश गौतम एक-दूसरे के खिलाफ उतर पड़े हैं। पिछली बार भी दोनों अलग-अलग जिला पंचायत का चुनाव लड़कर हार का स्वाद चख चुके हैं। जीत का सेहरा किसी और के सिर बंध गया। इस बार का चुनाव विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद से गिरीश गौतम की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है, लिहाजा राजनीतिक परिदृश्य से वार्ड-27 का चुनाव दिलचस्प हो गया है। ये हार-जीत देवतालाब क्षेत्र की भावी राजनीति की दिशा तय करेगी। एक बात और है कि स्पीकर के बेटे राहुल गौतम भारतीय जनता पार्टी मे जिला उपाध्यक्ष का अहम दायित्व संभाल रहे हैं। जबकि उनके बड़े भाई के बेटे और प्रतिद्वंदी पद्मेश गौतम कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। ऐसे में पर्दे के पीछे ही सही बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों की साख दांव पर लगी है।





पारिवारिक संग्राम के केंद्र में देवतालाब





जिला पंचायत के वार्ड नंबर-27 को जीतने के पीछे की सारी कवायद के पीछे देवतालाब की राजनीति को समझना होगा। दरअसल 2008 से इस क्षेत्र से बीजेपी की टिकट पर गिरीश गौतम लगातार विधायक चुने जाते आ रहे हैं। इस बार वे विधानसभा के स्पीकर भी बन गए लेकिन अब उनकी उम्र 70 पार करने वाली है। ऐसे में वे जानते हैं कि 2023 की टिकट की गारंटी उम्र के इस पड़ाव में कम है। लिहाजा वे देवतालाब को एक ऐसा राजनीतिक वारिस देना चाहते हैं जो उनकी विरासत को उन्हीं की तर्ज पर आगे ले जा सके। इस लिहाज से वे बेटे राहुल गौतम से उम्मीद लगा बैठे। वैसे उनकी राजनीतिक विरासत के दो और खेवनहार थे, छोटे भाई स्व. सिवेष गौतम के बेटे विवेक और बड़े भाई उमेश के बेटे पद्मेश गौतम, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जानकार मानते हैं कि यही विरासत पारिवारिक रार की वजह बन गई। हालांकि गिरीश गौतम ने अपने रसूख के दम पर विवेक गौतम को बीजेपी में हाशिए पर धकेल दिया लेकिन पद्मेश कांग्रेस के पाले में चले गए। अब पद्मेश जिला पंचायत के मैदान मे उतरकर राहुल गौतम की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन गए। जिला पंचायत का ये चुनाव ही स्पीकर की राजनीतिक विरासत तय करेगा। दिलचस्प बाद ये है कि दोनो चचेरे भाई वार्ड नंबर-27 में आमने-सामने एक-दूसरे को मात देने के लिए न केवल सियासी दांवपेंच लगाएंगें, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस भी पर्दे के पीछे खेल खेलेंगी।





2014 में चुनाव हार चुके हैं दोनों





जिला पंचायत के 2014 में हुए आम चुनाव में राहुल गौतम और पद्मेश गौतम दोनों पराजित हो गए थे लेकिन चुनाव दोनों अलग-अलग वार्ड से लड़े थे। राहुल गौतम तब वार्ड नंबर-14 से लड़े थे जिसमें उनके खिलाफ अब कांग्रेस के नेता जयवीर सिंह लड़े थे। वो चुनाव राहुल गौतम करीब साढ़े 5 हजार वोट के अंतर से हारे थे। कांग्रेस नेता जयवीर सिंह का आरोप है कि जिला पंचायत के चुनाव में तत्कालीन विधायक और वर्तमान स्पीकर गिरीश गौतम के इशारे पर प्रशासनिक मशीनरी ने उनके खिलाफ मुकदमे लगाकर यहां तक कि उनकी पत्नी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे बेटे के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था। खुद जयवीर सिंह बताते हैं कि वे अपना मतदान तक नहीं कर पाए थे। उन्हें पुलिस और प्रशासन ने कथित तौर पर नजरबंद कर दिया था। जबकि वार्ड नंबर-27 से पद्मेश गौतम को माया सिंह से हार का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि पद्मेश को हराने में भी देवतालाब विधायक का ही हाथ रहा है।





जिला पंचायत उपाध्यक्ष रह चुके हैं राहुल





विधानसभा के स्पीकर और देवतालाब विधायक गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम 2009 से 14 तक जिला पंचायत रीवा में उपाध्यक्ष रहे हैं। इस दौरान वे स्थाई शिक्षा समिति के अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए भी उनपर पदीय दुरुपयोग का आरोप लगा था। बहरहाल पहले चरण में होने वाले जिला पंचायत के चुनाव में इस बार घरेलू रार का ऊंट किस करवट बैठता है इसका राजनीतिक पंडितों को बेसब्री से इंतजार है।





मैदान में विधानसभा स्पीकर की बेटी रुचि





विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के बेटे के अलावा बेटी रुचि भी देवतलाब क्षेत्र की जनपद नईगढ़ी से चुनाव लड़ रही हैं। रुचि उर्मलिया की शिवराजपुर में ससुराल है। बताते हैं कि पहले रुचि को निर्विरोध जिताने की नाकाम कोशिश की गई लेकिन जितेंद्र सिंह ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। अब जनपद नईगढ़ी के वार्ड-9 में रुचि और जितेंद्र के बीच चुनावी टकराव तय है।



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