Jabalpur. जबलपुर-गोंदिया रेल मार्ग छोटी लाइन से बड़ी लाइन में तब्दील होने के बाद इस रेल ट्रेक से न तो यात्रियों को कोई सहूलियत मिल पा रही है और न ही रेल मंडल को कोई फायदा मिल पा रहा है। इस ट्रेक पर नियमित ट्रेन न होने से ब्रॉडगेज किए जाने का औचित्य भी लोगों की समझ से बाहर है। दरअसल नए ट्रैक को बनाए जाने के 3 साल हो रहे हैं लेकिन इतने समय में मात्र तीन मेल एक्सप्रेस ट्रेनें ही इस ट्रेक पर चल सकीं।
चेन्नई की दूरी 260 किमी घटी
वर्तमान में इस ट्रेक से चेन्नई सुपरफास्ट एक्सप्रेस प्रत्येक रविवार को जबलपुर से इसी ट्रेक के जरिए चेन्नई पहुंचती है। इस मार्ग से जबलपुर से चेन्नई की दूरी 1370 किमी है, जबकि व्हाया इटारसी, चेन्नई जाने पर 1630 किमी का सफर तय करना पड़ता है। इस तरह इस ट्रेक से मद्रास की दूरी 260 किमी कम हो जाती है। चेन्नई एक्सप्रेस के अलावा इस ट्रेक पर सप्ताह में 3 दिन चांदाफोर्ट जाने वाली ट्रेन को चलाया जा रहा है।
घोषणा के बाद भी नहीं बढ़ी ट्रेनें
पूर्व में यह घोषणा की गई थी कि इस रेलखंड के बनते ही यहां से मेल एक्सप्रेस गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जाएगी, लेकिन इन तीन सालों में इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हुए हैं। इसी तरह जबलपुर से बालाघाट, गोंदिया मार्ग से दुर्ग एवं रायपुर के लिए भी गाड़ी चलाने की मांग उठ चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ट्रेन शुरू नहीं हो पाई है। जिसके चलते दुर्ग जाने के लिए यात्रियों को करीब 200 किमी का अतिरिक्त सफर करना पड़ता है। जानकारों का मानना है कि यदि इस रूट से नागपुर, छत्तीसगढ़ और चेन्नई के लिए नई ट्रेनें चलाई जाएं तो इससे आदिवासी बहुल इलाकों और जबलपुर के विकास में बढ़ोतरी हो सकती है।