संजय गुप्ता, INDORE. जिले के देपालपुर तहसील की लंबे समय से विवादित चल रही श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर की शासकीय जमीन बचने की उम्मीद फिर से जगी है। करीब दस हेक्टेयर की जमीन की कीमत 25 करोड़ से ज्यादा है। जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई विशेष अनुमति याचिका 20 अक्टूबर को मंजूर हो गई है।
यह है मामला
साल 2013 में हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने शासन के विरूद्ध फैसला लिया था। मंदिर की जमीन को निजी मान लिया गया था, साल 2020 में शासन द्वारा लगाई गई रिव्यू याचिका 6 साल से अधिक का समय लेने के चलते खारिज हो गई थी।
मेरिट के आधार पर याचिका में रखे तर्क
कलेक्टर मनीष सिंह ने इस केस में अपर कलेक्टर, देपालपुर राजेश राठौड़ को प्रकरण का प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया है। मूल तथ्यों को स्टेंडिंग काउन्सिल के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा गया। सुप्रीम कोर्ट में देरी का कारण पूछा तो बताया गया कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी दो तहसीलदारों की एक-एक वेतन वृद्धि रोकी गई और तीन तहसीलदार पर परिनिंदा रोपित की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट से सहमति जताते हुए याचिका मंजूर कर ली।
इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई
देरी करने के लिए तत्कालीन तहसीलदार अवधेश चतुर्वेदी पर 25 हजार का अर्थदंड लगाया गया था। तहसीलदार योगेंद्र सिहं मोर्य की एक वेतन वृद्धि रोकी गई। तहसीलदार केश्या सोलंकी और चरणजीत सिंह हुड्डा को परिनिंदा की सजा दी गई।