भोपाल : हम तो रमते राम, हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन, हम अनिकेतन, हम अनिकेतन। मशहूर कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन की ये पंक्तियां प्रदेश की एक करोड़ आबादी पर फिट बैठती हैं। ये वो आबादी है जिसका न घर तय है, न आमदनी। यहां तक कि सरकार भी इनको अपना नहीं मानती है। विकास की मुख्य धारा से दूर इनकी जिंदगी खानाबादोश की तरह कट रही है। इनकी बेहतरी के उपाय तलाशने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक आयोग का गठन हुआ जिसने बीस सिफारिशें की। केंद्र सरकार ने राज्यों से इन सिफारिशों को लागू करने को कहा। यहां तक कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इन सिफारिशों का समर्थन करते हुए इन्हें लागू करने की बात कही थी। लेकिन अब तक इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। लेकिन वोट की राजनीति जो न कराए वो कम है। 2023 में विधानसभा चुनाव की चुनौती को देखते हुए प्रदेश सरकार अब इस एक करोड़ आबादी को पहचान देगी। यानी इनको अपना वोटर बनाएगी। इसके लिए विभाग में फाइलों का गति तेज हो गई है। सरकार की मंशा है कि यदि इस आबादी पर मेहरबानी कर दी तो वो सरकार से खुश होकर उसे अपना समर्थन देगी। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव के पहले इनको वोटर बनाने की तैयारी कर रही है। आयोग ने जो बीस सिफारिशें दी हैं उनमें से सात तो लागू कर ली गई हैं। बाकी भी बजटीय प्रावधान कर अगले बजट तक लागू कर दी जाएंगी।
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न दाना, न पानी, न वोट
शहरों के आस—पास लोहा पीटते, औजार बनाते और छोटे—छोटे घरों में निवास करते इन लोगों के पास न दाना,न पानी, न वोट का अधिकार है। 90 फीसदी से अधिक लोगों के सामने पहचान का संकट है क्योंकि उनके पास मतदाता पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज ही नहीं हैं। मध्यप्रदेश में वर्तमान में विमुक्त जनजातियों की संख्या 21 और घुमंतू जनजातियों की संख्या 30 है। इदाते आयोग ने विमुक्त जनजातियों की संख्या 21 से बढ़ाकर 26 यानी 5 की वृद्धि करने और घुमंतू जनजातियों की संख्या 30 से बढ़ाकर 58 यानी 28 की की बढ़ोत्तरी करने को कहा है। इन जनजातियों के संगठन ने सीएम से कहा है कि घुमंतू समुदाय की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक स्थिति बद से बदतर है। यह समुदाय अनूसूचित जाति और जनजाति से भी बुरी स्थिति में जीवन यापन कर रहा है। ऐसे समुदाय के उत्थान के लिए आपने महापंचायत में अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं लेकिन फिर भी बहुत सी जरुरी और महत्वपूर्ण बातें छूट गई हैं जिन्हें पूरा किए बिना इन्हें किसी प्रकार की कोई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
संघ प्रमुख ने किया आयोग की सिफारिशों का समर्थन
जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने घुमंतू जातियों के कल्याण के लिए दादा भीकूराम इदाते के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था। इसका कार्यकाल तीन वर्ष का था। वर्ष 2018 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसके बाद सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों से इस पर उनकी राय मांगी थी। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इन जनजातियों के विकास के लिए कुछ सिफारिशें भी की थीं। केंद्र सरकार ने इन सिफारिशों को लागू करने के लिए राज्यों को पत्र लिखा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इन सिफारिशों को लागू करने की बात कही है। आयोग के सदस्य और एक्सपर्ट मोहन नरविरया का कहना है कि मप्र समेत कई राज्यों ने अबतक इन सिफारिशों को लागू नहीं किया है।
दादा इदाते कमीशन की सिफारिशें
- स्थायी आयोग का गठन किया जाए जिसमें विमुक्त-घुमंतू समुदाय के प्रभावशाली नेता को अध्यक्ष और सचिव या अवर सचिव स्तर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को आयोग का सचिव बनाया जाना चाहिए।
- आयोग को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए। इसके सदस्यों का कार्यकाल तय किया जाना चाहिए। ये आयोग इनकी शिकायतें सुने और सुलझाए।
- विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के लिए अलग विभाग गठित किए जाना चाहिए।
- इन जनजातियों को ओबीसी,अनुसूचित जाति,जनजाति में शामिल कर विसंगति दूर किया जाना चाहिए।
- जातिवार जनगणना 2011 के आंकड़े प्रकाशित किए जाने चाहिए। अगली जनगणना में इनकी विशेष तौर पर जनगणना की जानी चाहिए।
- राष्ट्रपति को राज्यसभा के लिए और राज्यपाल को राज्य विधान परिषद में इनका कम से कम एक-एक प्रतिनिधि मनोनीत करना चाहिए।
- इन समुदायों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। इन्हें प्रोटेक्शन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट के दायरे में लाया जाना चाहिए।
- इनको क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट, 1871 के तहत जन्मजात अपराधी माना जाता है उन्हें इससे विमुक्त किया जाना चाहिए।
- नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग और स्टेट स्कूल बोर्ड को विमुक्त समुदायों के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। आयोग ने इन्हें विशेष आर्थिक सहायता दिए जाने की भी सिफारिश की।
- इन्हें उपयुक्त और जरूरी शिक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए। इनके बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल बनाए जाएं और अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा को लेकर जागरुक किया जाए।
- विमुक्त और घुमंतू समुदायों के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा, निशुल्क भोजन, निशुल्क पुस्तकें दी जाएं एवं छात्रवृत्ति प्रदान की जानी चाहिए।
- इन्हें मकान बनाने के लिए जमीन के पट्टे, मकान के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके अलावा इन्हें मूलभूत सुविधाएं पाने का भी अधिकार होना चाहिए।
सरकार ने अलग विभाग बनाया लेकिन पहचान अभी भी नहीं
आयोग के सदस्य और एक्सपर्ट मोहन नरवरिया का कहना है कि सरकार ने घुमंतू जनजातियों के लिए अलग से विभाग तो बना दिया है लेकिन फिर भी इन लोगों तक विकास का प्रकाश नहीं पहुंच पा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इनकी पंचायत भी बुलाई। सस्ता राशन देने, कर्ज देने और पहचान देने का ऐलान किया लेकिन इनका अब तक कोई सर्वे ही नहीं हुआ है। आयोग मानता है कि मध्यप्रदेश में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जनजातियों का कोई डाटा नहीं है। इसके लिए इन जनजातियों की वास्तविक जनसंख्या और स्थान के साथ सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आर्थिक स्तर के संबंध में घर-घर सर्वे किया जाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवासों की उपलब्धता के लिए इन जनजातियों की घनी बसाहट का पता लगाकर उनके लिए आवास उपलब्ध कराए जाएं। विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति के लिए भी विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए। महाराष्ट्र में विभागीय बजट 1200 करोड़ रुपए है। इसी तर्ज पर मध्यप्रदेश में बजट फिलहाल बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए किया जाए।
आजादी के सिपाही जिनको अंग्रेज कहते थे क्रिमिनल ट्राइब
आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने इन घुमंतू जातियों को सत्ता के खिलाफ सशस्त्र विद्रोही समुदाय मानते हुए क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट, 1871 के तहत जन्मजात अपराधी घोषित किया था। भारत के आजाद होने के बाद अगस्त 1952 ने सरकार ने इनको इससे मुक्त किया। अब ये जनजातियां विमुक्त जनजातियां कहलाती हैं। भारत की आजादी के इतने वर्षों बाद आज भी ये समुदाय सामाजिक न्याय से पूरी तरह वंचित और विकास की धारा से कोसों दूर हैं। आजादी के इन सिपाहियों को लेकर ठग्स आफ हिंदोस्तान फिल्म भी बन चुकी है।
ये पराए नहीं हमारे हैं
दो साल बाद सरकार को विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जाति का ध्यान आया है। विभाग के मंत्री राम खिलावन पटेल को इस बारे में काम करने को कहा गया है। सीएम ने निर्देश दिए हैं कि घुमंतू जातियों को वोट का अधिकार मिलना चाहिए ताकि उनका राशन कार्ड और आधार कार्ड बन सके। सस्ता राशन और बच्चों को मुफ्त शिक्षा उनका अधिकार है। इस संबंध में सीएम ने इन जातियों की पंचायत बुलाई थी। सीएम ने पंचायत की घोषणाओं के तत्काल पालन को भी कहा है।
क्या कहा मंत्री ने ?
'सरकार इनकी समस्याओं को लेकर गंभीर है। हम इनको अपना मानते हैं। सरकार ने कुछ सिफारिशें लागू कर दी गई हैं और बाकी सिफारिशों को भी जल्द लागू किया जाएगा'
रामखिलावन पटेल, मंत्री, विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जाति