सतना के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कमजोर बेटियों को मुफ्त में पढ़ाकर काबिल बना रहीं 'गुरू मां'

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
सतना के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कमजोर बेटियों को मुफ्त में पढ़ाकर काबिल बना रहीं 'गुरू मां'

सचिन त्रिपाठी, SATNA. शिक्षक दिवस के इस अवसर पर एक ऐसी महिला की कहानी जो शिक्षक तो नहीं है लेकिन उसने वंचित समाज की बेटियों को उच्चतम दर्जा दिलाने का संकल्प लिया है और 8 सालों से इसे पूरा करने में लगी हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की लड़कियों को वो महिला आत्मनिर्भर बना रही है। ऐसे में एक शिक्षक से ज्यादा महत्व बढ़ जाता है। सोनिया जौली हर बेटी की गुरु मां हैं।





8 साल पहले हुई शुरुआत





8 साल पहले आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की 6 बेटियों को गोद लेकर आत्मनिर्भर बनाने का शुरू हुआ सफर 100 से ज्यादा बेटियों तक पहुंच गया है। इन्हीं किताबी पढ़ाई के साथ-साथ गीत-संगीत और नृत्य सिखाया जा रहा है।  





रहे भावना ऐसी मेरी सरल, सत्य व्यवहार करूं





सोनिया जौली बताती हैं कि 8 साल पहले 6 बेटियों के साथ सफर शुरू हुआ था। आज 45 सदस्य हैं और 110 बेटियां हैं। सोनिया ने बताया कि केवल कहा जाता है कि बेटा-बेटी एक समान हैं लेकिन हकीकत में नहीं, खासकर गरीब परिवारों में। इन परिवारों की बेटियां पढ़ाई से इसी लिए वंचित रह जाती हैं। यही कारण था कि उन बेटियों को चुना गया जो कमजोर परिवारों की थी और आगे कुछ करने की ललक थी।





1 अगस्त 2014 में बनाया उपकार हैं हम संगठन





सोनिया जौली ने 1 अगस्त 2014 को उपकार हैं हम नाम का एक गैर सरकारी संगठन बनाया। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ है। वर्तमान में इस संस्था में 45 महिला सदस्य हैं। हरिकिरण बाबा, ज्योति चौरसिया, अंजू केड़िया, अर्चना गौरी, भूमि खत्री, प्रतिमा अग्रवाल, कमलेश चमड़िया और कविता बाधवानी जैसे नाम शामिल हैं।





अब कॉलेज में पढ़ रहीं गुरू मां के पहले बैच की बेटियां





पहले बैच की बेटियां अब कॉलेज में पढ़ रही हैं। इनमें से अधिकांश कक्षा छठवीं से यहां आ गई थी। उनमें से एक मुस्कान बेगम (17 साल) बताती हैं कि पहले तो मां-बाप आने ही नहीं देते थे लेकिन गुरू मां ने समझाया तो मान गए। यहां आकर पढ़ाई के साथ और भी बहुत कुछ सीखा। पहले सरकारी स्कूल में पढ़ते थे आज मां की बदौलत एक निजी महाविद्यालय में पढ़ रही हूं।





गुरू मां ने सबकुछ सिखाया





मुस्कान बताती हैं कि उनके पापा कोरियर में डाक पार्सल बांटने का काम करते हैं। तो वो बड़े स्कूलों में पढ़ा नहीं सकते थे। इसलिए यहां आकर सबकुछ बदल गया। जो चाहिए मिल जाता है। मुस्कान की बातों को दोहराते हुए कंचन वर्मा बताती हैं। हम लोगों का व्यवहार तक अच्छा नहीं था। किससे कैसे बातचीत करनी है यह तक यहां सिखाया पढ़ाया गया। कंचन बताती हैं कि पहले कोई पूछ ले कि कहां जा रही है तो इसका आंसर क्या देना है वो तो दूर था। डर अलग से जाते थे।





बेटियों को नाश्ता और भोजन की सुविधा





उपकार की ये सपनों को पंख देने वाला स्कूल सुबह से शाम तक चलता है। बेटियां यहीं नाश्ता और भोजन करती हैं। यहीं से स्कूल और कॉलेज जाती हैं। कक्षा दूसरी में पढ़ रही 7 साल की शानू कुशवाहा के पिता होटल में काम करते हैं। उनकी माली हालत ठीक नहीं है लेकिन उनकी लाडली अच्छे स्कूल में पढ़ रही है। शानू ने बताया कि उनके पापा होटल में काम करते हैं। उनके पास पैसे नहीं हैं तो उन्होंने यहां एडमिशन करा दिया। शानू की तरह ही शालिनी की भी कहानी है। पिता समोसे का ठेला लगाते हैं।



सतना की गुरू मां free teaching to weak daughters satna Teachers day special मध्यप्रदेश की खबरें satna guru maa शिक्षक दिवस कमजोर बच्चियों को मुफ्त शिक्षा