Gwalior. नगरीय निकाय चुनाव (urban body elections) की घोषणा के साथ ही अब टिकटों को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। कांग्रेस (congress) और बीजेपी (BJP) दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों में चिंतन और मंथन का दौर जारी है कि आखिर कैसे ग्वालियर नगर निगम के अधिक से अधिक वार्डों में पार्षद विजय हो। इसके साथ ही महापौर (mayor) पद पर विजय श्री प्राप्त की जाए। बीजेपी के सामने अपने पचास साल पुराने गढ़ को बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस के सामने हार का मिथक तोड़ने का मौका है।
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जिताऊ उम्मीदवार की तलाश
दोनों ही दल कह रहे हैं कि उनकी पहली प्राथमिकता जिताऊ उम्मीदवार की तलाश है। कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं का कहना है कि आलाकमान के द्वारा कार्यकर्ताओं के काम का समय-समय पर आकलन किया जाता है, जो कि लगातार जारी रहता है। इसलिए जो कार्यकर्ता जमीन पर मजबूत हैं और पार्टी को जीत दिला सकता हैं ऐसे कार्यकर्ताओं को ही टिकट देने की प्राथमिकता है। हालांकि कांग्रेस में बाहरी प्रत्याशी होने का विरोध कल की बैठक में देखने को मिला था लेकिन पार्टी इसे सामान्य प्रक्रिया करार दे रही है।
बीजेपी की मुश्किलें
वहीं बीजेपी के सामने मुश्किल यह है कि सिंधिया और उनके समर्थकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार निकाय चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) गुट के भी कई पार्षद (Councilor) कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए हैं और कई कार्यकर्ता वार्डों में तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में अब बीजेपी के सामने यह मुश्किल है कि आखिर वह किसे छोड़े और किसे टिकट दे।
मजबूत कैंडिडेट की तलाश
वहीं दूसरी तरफ ग्वालियर नगर निगम पर पिछले 50 साल से अधिक समय से बीजेपी का कब्जा है। ऐसे में इस कब्जा को बरकरार रखने के लिए बीजेपी एक मजबूत कैंडिडेट को तलाश रही है। बीजेपी में अगर बात करें तो पूर्व मंत्री माया सिंह, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, पूर्व पार्षद खुशबू गुप्ता, पूर्व पार्षद करुणा सक्सेना और बीजेपी प्रदेश मंत्री सुमन शर्मा प्रमुख दावेदार के तौर पर देखीं जा रही हैं।
वही बात अगर कांग्रेस की करें तो कांग्रेस की ओर से डॉ शोभा सतीश सिकरवार सबसे प्रमुख दावेदार हैं। वह तीन बार पार्षद रह चुकी हैं। इसके साथ ही एमआईसी मेंबर भी रही हैं। इसके अलावा रश्मि पवार शर्मा और रीमा शर्मा प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस बार कार्यकर्ताओं में पूरी तरीके से जोश है और जनता उनके साथ है इसलिए 52 साल के बीजेपी के रिकॉर्ड को इस बार कांग्रेस ध्वस्त करेगी और कांग्रेस का महापौर निगम पर काबिज होगा ?