Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने होमगार्ड्स की ड्यूटी में कॉल ऑफ देने के नियम में संशोधन पर अंतरिम रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव, होमगार्ड्स एंड सिविल डिफेंस के महानिदेशक, अतिरिक्त कमांडेंट जनरल होमगार्ड्स और जिला कमांडेंट होमगार्ड्स रीवा को नोटिस कर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता होमगार्ड्स को कॉल ऑफ के बिना ड्यूटी जारी रखने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता रीवा होमगार्ड में पदस्थ विनोद शर्मा, घनश्याम पांडे समेत 14 जवान हैं जिन्होंने 27 सितंबर को होमगार्ड्स रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि संशोधन के जरिए एक साल में दो माह के कॉल ऑफ को बदलकर 3 साल में 3 माह कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विकास महावर ने पक्ष रखा। पूर्व में साल 2010 में होमगार्ड्स कर्मचारियों ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने और अन्य मांग पूरी करने की प्रार्थना की थी। साल 2011 में हाईकोर्ट ने आंशिक रूप से मांगों को स्वीकार कर मध्यप्रदेश शासन को आदेशित किया था कि वे होमगार्ड्स की सेवा नियम बनाए और उन्हें पूरे साल कार्य पर रखा जाए। इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा था।
इसके बाद सरकार ने साल 2016 में नियम बनाए और आदेश के विपरीत पुनः साल में 2 माह का बाध्य कॉल ऑफ का प्रावधान रख दिया। इसे लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं। साल 2020 में होमगार्ड विभाग द्वारा बाध्य कॉल ऑफ का आदेश जारी किया गया जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश पर रोक लगा दी थी। जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की गईं। राज्य सरकार ने 17 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी कि याचिकाओं के पूर्ण निराकरण तक होमगार्ड सैनिकों को पूरे साल काम दिया जाएगा।
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