संजय गुप्ता, Indore. देर रात साढ़े तीन बजे इंदौर में हुई तेज बारिश ने शहर के कई चौराहों, सड़कों को तालाब में तब्दील कर दिया। निचली बस्तियों में पानी भर गया और सड़कों पर घुटनों तक पानी हो गया। रात को ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कंट्रोल रूम को जलजमाव होने पर पानी निकालने की व्यवस्था निकालने के निर्देश दिए, लेकिन इस बारिश ने बार-बार निगम की स्मार्ट सिटी योजना और बर्बाद सीवरेज सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। हालत यह थी शहर का प्रमुख चौराहा पलासिया रात चार बजे तालाब बना हुआ था।
कहां गए 1500 करोड़ रुपए
नगर निगम ने बीते पांच से सात सालों में सीवेरज सिस्टम, जल जलाव समस्या, नाला टेपिंग कर गंदे पानी को कान्ह-सरस्वती नदी में मिलने से रोकने पर 1500 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए हैं। लेकिन नाला टेपिंग होने के बाद से तो और सीवरेज सिस्टम बर्बाद हो गया है और नालों में पानी जाने की जगह सड़कों पर भर रहा है। हर बार निगम के अधिकारी यही कहकर बचते आए हैं कि पानी तो बडे़ शहरों में भी जमा होता है लेकिन हमारे यहां एक घंटे में निकल जाता है।
स्मार्ट सिटी कहां गई
इंदौर को पहले चरण में ही केंद्र ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में चुना था। कुल पांच हजार करोड़ से शहर को स्मार्ट बनना था, अभी तक 700 करोड़ खर्च हो चुके हैं लेकिन मकान तोड़ने और मध्य क्षेत्र में सड़कें चौड़ी करने के सिवा शहर में कोई काम नहीं हुआ है। सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए करीब एक हजार करोड़ दे चुकी है, जो राशि ठिकाने लग चुकी है, अब समस्या यह है कि आगे कि चार हजार करोड़ की राशि खुद राज्य सरकार को ही इस स्मार्ट सिटी में हुए कामों के जरिए करना है, लेकिन अभी तक काम ही नहीं हुए हैं तो ऐसे में कितनी कमाई कर फंड जुटा सकेंगे यह अभी संशय में हैं, यानि एक और प्रोजेक्ट खटाई में जाना तय है।
बस तसल्ली यह कि तालाब फुल हो रहे हैं
तालाबों के लेवल की जानकारी
. यशवंत सागर पूरा 19 फीट भर चुका है, बडी बिलावली 34 में से 22.50 फीट भर गया, छोटी बिलावाली 12 में से चार फीट भरा जा चुका, बड़ा सिरपुर 16 फीट क्षमता में से 15 भरा जा चुका तो छोटा सिरपुर पूर 14 फीट भर गया है, पिपल्यापाला 22 फीट में से 16 फीट भरा जा चुका है, लिम्बोदी भी 16 में से करीब दस फीट भर गया है।