JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम के उस रवैये पर नाराजगी जताई जिसमें एक ही मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से भी अपील खारिज होने के बाद फिर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बार-बार एक ही विषय पर बेतुकी याचिका दायर करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट ने नगर निगम जबलपुर पर इस मामले में 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।
ये थी याचिका
पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि 2016 में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दैवेभो कर्मी केदारनाथ सिंह मंदेले के नियमितिकरण के आदेश दिए। इसके खिलाफ नगर निगम की अपील युगलपीठ ने 9 अगस्त 2016 को खारिज कर दी। इस आदेश का पुनरीक्षण करने का याचिका में आग्रह किया गया।
दो साल देरी से दायर की याचिका
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ये तथ्य सामने आया कि इसके पहले नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले पर दो साल के विलंब से याचिका दायर की थी। ये याचिका 13 जून 2019 को खारिज हो गई। इसके बाद निगम ने एकलपीठ के आदेश के स्पष्टीकरण के लिए अर्जी लगाई थी। ये अर्जी भी 24 जून 2022 को खारिज कर दी गई। इसके बाद निगम ने डिवीजन बेंच के खिलाफ ये पुनरीक्षण याचिका दायर की। जिस पर हाईकोर्ट ने एक ही विषय पर बार-बार सारहीन याचिका दायर करने के लिए निगम पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगा दिया।