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Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर यह जवाब मांगा है कि एमबीबीएस में केवल एनआरआई कोटे के उन छात्रों को रूरल सर्विस बांड से छूट क्यों दी गई है, जिनका एडमिशन बगैर काउंसलिंग के हुआ है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के संचालक प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है।
जबलपुर निवासी रमेश यादव, खुशबू गुप्ता समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों के 51 डॉक्टर्स की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने याचिका दायर कर रूल्स ऑफ प्रायवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज एडमिशन-2015 के नियम 21 की संवैधानिक वैधता को कठघरे में खड़ा कर दिया है। याचिका में दलील दी गई कि याचिकाकर्ताओं ने नीट उत्तीर्ण करने और काउंसलिंग में शामिल होने के बाद साल 2016 में प्रदेश के अलग-अलग निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिया।
उक्त नियम के तहत काउंसलिंग के माध्यम से एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले डॉक्टर को कोर्स पूरा करने के बाद बांड के अनुसार 1 साल तक ग्रामीण क्षेत्र में मेडिकल ऑफिसर के रूप में सेवा देना होगी। ऐसा नहीं होने पर 5 लाख रुपए की पेनाल्टी भरनी होगी। इस नियम को असंवैधानिक बताया गया। शुरूआती सुनवाई के बाद अदालत ने अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं।