जबलपुर. हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि अनुदान प्राप्त महाविद्यालय से 62 वर्ष में रिटायर हुए प्रोफेसरों को 65 वर्ष तक की सेवा का पूरा वेतन प्रदान किया जाए। यानि अब याचिकाकर्ता प्राध्यापकों को 3 साल का पूरा वेतन मिलेगा। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग को याचिकाकर्ताओं की सेवा से बाहर रहे दिनों की गणना और उसके आधार पर बनने वाले पूरे वेतन की गणना की प्रक्रिया 60 दिन के अंदर पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे सभी प्रोफेसर जिन्हें 62 वर्ष में सेवानिवृत्त कर दिया गया और वे सेवा से बाहर हो गए, वे सभी इंटरवीनिंग पीरियड का पूरा वेतन पाने के हकदार हैं।
नियम विरुद्ध रिटायरमेंट दिया था: आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग ने 10 जून, 2020 को एक आदेश जारी कर वर्ष 2016 से 2018 के बीच का पूरा वेतन देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं को जबरदस्ती 62 वर्ष में सेवानिवृत्ति दे दी गई, जिस कारण वे 65 वर्ष की आयु पूरा होने तक सेवा से बाहर रहे।
SC ने दिया था ये आदेश: याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में भी SLP दायर की थी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को 65 वर्ष तक सेवा में बने रहने के आदेश दिए थे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने शासन को वेतन रिलीज करने के निर्देश भी दिए थे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बालकृष्ण राठी विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन के मामले में भी अनुदान प्राप्त कालेजों के प्राध्यापकों को 65 वर्ष तक की सेवा का पूरा वेतन देने के निर्देश दिए थे।