ग्वालियर. स्वर्ण रेखा नदी (Swarn rekha river) शहर के बीच से गुजरती है। इस नदी को कंक्रीट से पक्का कर दिया है। इस कारण नदी का अस्तित्व ही खत्म (river lost) हो गया। इसको लेकर एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायिर की थी। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। वाटर हार्वेस्टिंग (water harvesting) न होने पर हाईकोर्ट (Highcourt on swarn rekha river) ने सरकार से जवाब मांगा है।
भू-जलस्तर कम हो गया:
शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते स्वर्ण रेखा एक बड़े नाले की शक्ल ले चुकी है। वहीं स्वर्ण रेखा की तलहटी कंक्रीट से पक्की होने से उसमें बहता पानी भी जमीन में जाने से रुक गया है। स्वर्ण रेखा नदी को कांक्रीट से पाटने के बाद आसपास के इलाके में जलस्तर कम हुआ है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हालांकि इसके पीछे शासन का तर्क था कि इसमें साफ पानी भरकर नौकायन बोटिंग के माध्यम से सैलानियों को आकर्षित किया जाएगा, लेकिन बारह साल बीतने और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ये एक नाले के अलावा कुछ नहीं बचा है।
नदी जहां से गुजरती है वहां पानी की किल्लत:
एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने वॉटर मिशन डेवलपमेंट और स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन को पार्टी बनाया है। जिसके चलते हाईकोर्ट द्वारा सेंट्रल वॉटर मिशन को नोटिस देकर रिपोर्ट मांगी है। रतौनिया ने बताया कि एक समय था कि नदी में पानी की कमी नहीं थी। अब हालात ये हैं कि नदी शहर के जिस भी इलाके से गुजरती है, वहां पानी की किल्लत है। ये इस शहर का दुर्भाग्य है। हम लोग आंदोलन कर रहे थे स्वर्ण रेखा नदी को बचाने के लिए।
(ग्वालियर से मनोज चौबे की रिपोर्ट।)