राजीव उपाध्याय, JABALPUR. जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में हुई अग्नि दुर्घटना के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को फिर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने कहा कि बार-बार जांच कमेटी बदलने से सरकार का ढुलमुल रवैया नजर आ रहा है। कोर्ट ने फिर चेतावनी दी कि कोर्ट सन्तुष्ट नहीं हुई तो मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी को सौंपी जानी चाहिए।
सरकार ने दिया जवाब
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि निरीक्षण में अस्पताल को क्लीन चिट देने वाले 2 और डॉक्टरों को निलंबित और एक अन्य को नोटिस जारी किया गया है। इस पर कोर्ट ने अग्निकांड के बाद उठाए गए सभी कदमों और घटित सम्पूर्ण घटनाक्रम का क्रमवार ब्यौरा और शपथ पत्र पर मांगा। अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी।
जनहित याचिका में उठा निजी अस्पतालों का मामला
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें जबलपुर में चल रहे नियम विरुद्ध निजी अस्पतालों का मसला उठाया गया। सोमवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह ने राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश किया। उन्होंने बताया कि न्यू लाइफ हॉस्पिटल को पंजीयन के पूर्व निरीक्षण में क्लीन चिट देने के मामले में दो चिकित्सक एलएन पटेल और निषेश चौधरी को निलंबित कर दिया गया है।
सरकार ने रातों-रात बदला पूर्व आदेश
तत्समय नर्सिंग होम शाखा की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. कमलेश वर्मा को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता की ओर से एक अन्य आवेदन और दस्तावेज पेश कर कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने रातों-रात अपने पूर्व आदेश बदल दिया। पूर्व आदेश में जांच के दौरान भवन का बिल्डिंग कम्पलीशन सर्टिफिकेट जांचा जाना अनिवार्य किया गया था। उसके स्थान पर घटना के दूसरे दिन 3 अगस्त को आदेश जारी कर बिल्डिंग परमिशन शब्द को रख दिया गया। जिससे निजी अस्पतालों को जांच टीम के समक्ष अब अपनी बिल्डिंग के कम्पलीशन सर्टिफिकेट पेश करने की आवश्यकता ही नहीं होगी। बगैर बिल्डिंग कम्पलीशन सर्टिफिकेट के चल रहे अस्पताल कार्रवाई से बच जाएंगे।
हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई
हाईकोर्ट ने सरकार से कारण पूछा लेकिन सरकार की ओर से उचित जवाब नहीं मिला। मामले की जांच में बार-बार कमेटी बदल-बदल कर बताने के रवैये को लेकर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने सरकार को साफ-साफ शब्दों में कहा कि अगर जांच में और जवाबों में ऐसा ही ढुलमुल रवैया चलता रहेगा तो ये जांच सीबीआई या एसआईटी को सौंपी जाएगी। सरकार की ओर से जवाब में बताया गया कि हादसे के बाद सीएमएचओ की बनाई गई कमेटी को निरस्त कर दिया गया है। जबलपुर कलेक्टर ने एक नई टीम का गठन 12 अगस्त को किया है। इसमें 3 डॉक्टर सहित एक फायर सेफ्टी ऑफिसर और एक इलेक्ट्रिक ऑडिट ऑफिसर होंगे।