भोपाल. प्राइवेट सेक्टर में स्वास्थ्य और जरूरी खाद्य सामान की डिलीवरी, ई-कॉमर्स में जिस तेजी से ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा है, इसे देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार भी हाईटेक होने जा रही है। अब सरकार ड्रोन टेक्नोलॉजी (MP Drone technology) का भरपूर उपयोग करना चाहती है। फिर चाहे वो जंगल की सुरक्षा का मामला हो या फिर लॉ एंड ऑर्डर (Law and order drone uses) पर नजर रखना हो। इन सभी में ड्रोन का उपयोग करने के लिए राज्य सरकार ने मैप आईटी के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में सीनियर आईएएस अफसरों की एक टॉस्क फोर्स (IAS officers task force) गठित की है। ये टॉस्क फोर्स टेक्नोलॉजी पर अध्ययन करेगी।
कमेटी ये सुझाव देगी
ये कमेटी सुझाव देगी कि किस तरह से सरकार आम जनता की सुविधा के लिए ज्यादा से ज्यादा ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर सकती है। इसके लिए ड्रोन पॉलिसी (Drone policy) में भी बदलाव करने को लेकर सुझाव देगी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में ग्वालियर मेले के शुभारंभ पर केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने मध्य प्रदेश में 5 ड्रोन स्कूल (Drone school) खोले जाने का ऐलान किया था। ये स्कूल ग्वालियर, इंदौर, भोपाल (Bhopal), सतना, जबलपुर (Jabalpur) में खोले जाएगे। सिंधिया ने कहा था कि इन ड्रोन स्कूलों में ड्रोन तकनीक और इसके इस्तेमाल की शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाएगा।
21 बिलियन डॉलर से ज्यादा का मार्केट
ड्रोन तकनीक के बढ़ते असर को इस बात से समझ सकते हैं कि ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ड्रोन तकनीक का आज ग्लोबल मार्केट 21 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है। वहीं, भारत में ड्रोन तकनीक का बाजार करीब 900 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सिनेमेटोग्राफी, कृषि, सर्विलांस व निगरानी, रिफाइनिंग, रक्षा जैसे क्षेत्रों में ड्रोन तकनीक के विकास और इस्तेमाल की अपार संभावनाएं हैं। सरकार ने भी ड्रोन तकनीक की संभावनाओं को देखते हुए इसी साल नई ड्रोन पॉलिसी भी पेश की थी।
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