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ज्ञानेंद्र पटेल, INDORE. भूमाफियाओं (land mafia) पर कड़ी कार्रवाई करने की बात करने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) इंदौर (Indore) के जमीन घोटाले (land scam) पर खामोश हैं। मप्र सरकार और जिला प्रशासन के लिए सहकारी गृह निर्माण समितियों (Cooperative House Construction Society) के जमीन घोटाले हर दिन नई चुनौतियां दे रहे हैं। कुछ संस्थाओं पर कार्रवाई करने के बाद इंदौर में भूमाफियाओं के खिलाफ मुहिम ठंडी पड़ गई है। द सूत्र द्वारा इसी मामले में लगाए गए सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन से मिली जानकारी से 30 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला ममता गृह निर्माण सोसायटी (Mamta Home Construction Society) की जमीन पर हुआ है।
इस तरह हुआ खेल
ममता गृह निर्माण सोसायटी के तत्कालीन संचालक मंडल ने साल 2007-08 में चार नए सदस्य बनाए, लेकिन इसके पूरे पते व जानकारी नहीं लिखते हुए केवल नाम बस लिखे। संस्था के कुल 96 सदस्यों में से केवल यह चार सदस्य हैं, जिनका पता छुपाया गया और उन्हें संस्था की बेशकीमती जमीन बेच दी गई। यह सदस्य भी झाबुआ, ग्वालियर के बताए जा रहे हैं।
सहकारिता के नियमों में स्पष्ट है कि संस्था अपने कार्य क्षेत्र के बाहर जाकर न तो भूमि का क्रय-विक्रय करेगी और न ही सदस्य बनाएगी। लेकिन संस्था के तत्कालीन पदाधिकारियों ने अपने कार्य क्षेत्र के बाहर जाकर सदस्य बनाएं और बिना विभागीय अनुमति के उन सदस्यों को बेशकीमती जमीन बेच दी, जो कि सहकारिता अधिनियम 1962 के उल्लंघन के साथ ही धारा 72 (घ) में दिए गए अपराधों की श्रेणी में आने वाले अपराध है।
इस तरह बेची गई जमीन
द सूत्र को आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार संस्था के पूर्व उपाध्यक्ष मुकेश खत्री द्वारा वर्ष 2007-08 में जानकी वाघेला, दीपक केवल दास और कीर्ति शिवराम को अविकसित भूखंडों का पंजीयन दिया गया। इसी वर्ष संस्था द्वारा बिना विभागीय अनुमति के के.जे. कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को 2.400 हेक्टर जमीन बेच दी गई। संस्था द्वारा ग्राम पिग्डंबर की सर्वे नंबर 391/1 की भूमि 0.254 हेक्टर और ग्राम हुकमाखेड़ी की सर्वे नंबर 7/3/9 की बेशकीमती जमीन को नियमों के विरुद्ध जाकर बेच दिया गया।
ऑडिट रिपोर्ट में आने के बाद भी मामला दबा दिया
ममता गृह निर्माण सहकारी संस्था को लेकर सहकारिता विभाग इतना पीछे है कि वर्ष 2007-08 की ऑडिट टीप जो साल 2014 में सामने आई, इसमें पूरी अनियमितता का खुलासा किया गया और इसकी विस्तृत जांच धारा 60 के तहत करने की अनुशंसा की गई, लेकिन यह मामला यहीं दबा दिया गया। खत्री के खिलाफ देवी अहिल्या समिति मामले में भी पुलिस पहले एफआईआर कर चुकी है। द सूत्र को आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार संस्था की धारा 60 में कभी जांच ही शुरू नहीं की गई है।
जमीन बेची भी अपात्र व्यक्ति ने, कैश में हुआ लेन-देन
चौंकाने वाला तथ्य यह भी निकलकर आ रहा है कि जिन जमीनों को संस्था द्वारा बेच दिया गया, उनका पंजीयन उपाध्यक्ष द्वारा किया गया। जबकि यह अध्यक्ष द्वारा किया जाना चाहिए था। जमीन की इस सौदेबाजी में संस्था के पदाधिकारियों के ऊपर नगद व्यवहार का भी आरोप लगा साथ ही भूमि विक्रय के दौरान पूर्ण राशि प्राप्त नहीं करते हुए सदस्यों से प्राप्त राशि का दुरुपयोग किया गया। आज दिनांक तक भूमि के विक्रय संबंधी नगद लेन-देन और भूमि की वर्तमान स्थिति की जांच नहीं कर सका।
अधिकारियों का पुराना घिसा हुआ बयान
उपायुक्त सहकारिता मदनलाल गजभिए कहते हैं कि मुझे अभी आपसे इस बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। मैं संपूर्ण प्रकरण को देखते हुए उसका परीक्षण कराऊंगा और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा।
धारा 60 की जांच क्यों जरूरी है
सहकारिता के नियमों में धारा 60 के तहत सोसाइटी की पुस्तकों का निरीक्षण किया जाता है। जांच कराने से संस्था द्वारा संचालक मंडल की बैठक में जमीन विक्रय को लेकर हुए निर्णय सामने आ जाएंगे और इसमें सभी सदस्यों से प्राप्त सहमति का भी खुलासा हो जाएगा। धारा 60 की जांच कराने से संस्था के पंजीयन से लेकर वर्तमान वर्ष तक का रिकॉर्ड मिल जाता है।