संजय गुप्ता, INDORE. ईवे बिल (eway bill) की मियाद खत्म होने के केवल साढ़े चार घंटे देरी से ट्रक के अपनी मंजिल पर पहुंचने पर स्टेट जीएसटी विभाग (State GST Department) द्वारा करदाता पर लगाई गई 6.82 लाख की पेनल्टी को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने सिरे से खारिज कर दिया। ईवे बिल कि मियाद से देरी कर माल पहुंचाने के मामले में विभाग की पेनल्टी (Penalty) खारिज करने का प्रदेश का यह संभवत: पहला मामला है। वहीं जीएसटी ट्रिब्यूनल (GST Tribunal) नहीं होने के चलते करदाता ने सीधे हाईकोर्ट का रूख किया, यहां हाईकोर्ट ने करदाता के पक्ष को सही मानते हुए पेनल्टी को खारिज कर विभाग को राशि लौटाने के निर्देश दिए।
चोरी की नहीं थी मंशा
हाईकोर्ट में पेनल्टी के पीछे विभाग का तर्क था कि यह देरी टैक्स चोरी की नियत से की गई है, लेकिन करदाता की ओर से जबलपुर के वकील अभिषेक ध्यानी ने बताया कि ट्रक की क्लेच प्लेट खराब होने के कारण ट्रक को रायपुर से डिंडोरी माल लेकर पहुंचने में केवल साढ़े चार घंटे का अतिरिक्त समय लग गया। ट्रक की रिपेयरिंग की भी जानकारी, बिल आदि विभाग के अधिकारी सहायक आयुक्त को बताया गया लेकिन ईवे बिल की मियाद केवल साढ़े चार घंटे अधिक लगने को विभाग द्वारा इसे टैक्स चोरी मान कर पेनल्टी लगा दी गई और यदि करदाता 6.82 लाख नहीं भरता तो उन्हें ट्रक राजसात कर 24 लाख की पेनल्टी वसूलने का नोटिस भी दे दिया गया। इस पर जस्टिस सुजाय पाल (Justice Sujay Pal) और प्रकाश चंद्र गुप्ता (Prakash Chandra Gupta) ने सभी तर्कों को सुनने के बाद पाया कि इस देरी की वजह है और करदाता द्वारा यह टैक्स चोरी की मंशा से नहीं किया गया है। इसलिए 30 दिन के भीतर विभाग करदाता से जमा कराई गई राशि वापस दें। नहीं तो छह फीसदी ब्याज भी देय होगा।
यह है मामला
दयाशंकर सिंह को डिंडोरी में एक कॉलेज में प्रयोगशाला, क्लास रूम बनाने का सरकारी ठेका मिला हुआ है। अतिरिक्त काम का आदेश मिलने पर संबंधित ने रायपुर से स्टील बुलाने का आर्डर दिया और इसका ईवे बिल 17 मई को तैयार हुआ। ट्रक माल लेकर 18 मई को निकला, उसे 19 मई की रात 12 बजे तक माल पहुंचाने का ई वेबिल था। रास्ते में वाहन खराब हो गया, इसे ठीक कर वह वापस रवाना हुआ तो वह 20 मई की सुबह साढे चार बजे गंतव्य स्थल पर पहुंचा। यहां जांच के दौरान ई वेबिल देखने पर विभागीय अधिकारियों ने वाहन को रोक लिया और पेनल्टी लगा दी। हाईकोर्ट फैसले के बाद अब विभागिए अधिकारी करदाताओं की छोटी गलती पर भारी पेनल्टी नहीं लगाएं तो करदाता को बड़ी राहत होगी और जीएसटी भी कारोबारियों के बीच स्थापित होगा।