गुना. मंदिर के लिए जमीन नहीं तो समाज की पंचायत ने एक परिवार का बहिष्कार (Guna Family boycott) कर दिया। समाज के दूसरों लोगों ने परिवार से संबंध तोड़ दिए है। परिवार से गांव का कोई व्यक्ति बात नहीं करता है। उन्हें किसी कार्यक्रम में शामिल होने की भी अनुमति नहीं है। यहां तक कि उनके भाई के अंतिम संस्कार में गांव का कोई व्यक्ति शामिल नहीं हुआ। ग्वाल समाज की पंचायत (Society Jury) ने परिवार के सामने समाज में वापसी के लिए बेतुकी शर्तें रखी है।
पुश्तैनी जमीन समाज के लोगों को चाहिए
शिवाजी नगर (Shivaji Nagar Guna) में रहने हीरालाल घोषी के परिवार की पुश्तैनी जमीन पर समाज का मंदिर बना हुआ है। उन्होंने 3 बिसबा (1 बिसबा यानी 1300 स्क्वेयर फीट) जमीन मंदिर के लिए दान दे दी है। दोषी ने बताया कि समाज के लोग पूरी जमीन मांग रहे हैं, लेकिन उस पर मेरे भाईयों का घर है तो वो जमीन मैं कैसे दे दूं? मैंने जमीन देने से इंकार कर दिया तो मेरे परिवार का समाज से बहिष्कार कर दिया।
समाज में वापसी के लिए अमानवीय शर्तें
हीरालाल के मुताबिक, पंचायत ने समाज में वापस आने के लिए वह अलग-अलग शर्तें रख रही हैं। जैसे- दाढ़ी कटाओ, और अपनी पगड़ी समाज के लोगों के कदमों में रखो। समाज के लोगों के जूते अपने सिर पर रखो। पूरे परिवार के सदस्यों को गोमूत्र पिलाया जाएगा, तब ही समाज में वापस लिया जाएगा। ग्वाल समाज के पंच यही बात कहते हैं। यह मामला मंगलवार को जनसुनवाई (Public Hearing) के दौरान सामने आया। जब उन्होंने इसके खिलाफ कलेक्टर से शिकायत की।
अंतिम संस्कार में भी बहिष्कार
कोरोना काल में उनके भाई की मौत हुई थी, उनके अंतिम संस्कार में समाज का कोई व्यक्ति शामिल नहीं हुआ। उनके घर में शादी थी। इस शादी में समाज के लोगों ने आने से मना कर दिया था। परिवार ने इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ पंचायत में न्याय की गुहार लगाई है।