REWA. नगर निगम के घमासान के बाद अब जिला पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए घमासान शुरू हो गया है। संख्या बल में यहां भी भाजपा कांग्रेस से पीछे है। अध्यक्षी की डोर 12 निर्दलीयों के हाथों में है। दोनों राजनीतिक दल निर्दलीयों को अपने पाले में लाने के लिए जुटे हैं। निर्दलीयों के तीसरी ताकत बनने के धन आड़े आ रहा है। बीजेपी प्रदेश नेतृत्व ने जिला पंचायत को संभालने के लिए राजेन्द्र शुक्ल के साथ वरिष्ठ नेता व विधायक नागेन्द्र सिंह को मिशन पर लगा दिया है। जिला पंचायत की रणनीति का दारोमदार फिर संगठन प्रभारी प्रतापभानु शर्मा पर रहेगा। वे दो दिन बाद रीवा पहुंचने वाले हैं। श्री शर्मा ने पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना, जयवीर सिंह और निवृतमान जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा को इस मिशन के लिए चुना है लेकिन लोगों की दिलचस्पी रीवा के दो चग्गघड़ नेताओं को लेकर बढ़ गई है कि इनके अगले कदम क्या होंगे। इस संदर्भ में दो माहिर खिलाड़ी जिला पंचायत की सियासी चौसर पर आमने- सामने आते दिख रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता और निवर्तमान अध्यक्ष अभय मिश्रा और भाजपा के वरिष्ठ नेता गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह के बीच अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद को लेकर शह मात का खेल चालू हो गया है। दोनो नेता पार्टी की ओर से खेला करने के लिए अघोषित तौर पर नियुक्त हैं।
दोनों पदों के लिए कांग्रेस आमादा
नगर निगम में मात खाने के बाद अब भाजपा का फोकस जिला पंचायत पर बढ़ गया है, वहीं महापौर में मिली ऐतिहासिक जीत से कांग्रेस का मनोबल यकायक ऊंचा हो चला है। ऐसे में दोनों दलों ने दांव पेंच चलने की जिम्मेदारी उन नेताओं को थमा दी,जिनके राजनीतिक मंसूबों की उडान यहीं से शुरू होनी है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि नागेंद्र सिंह का शुरू से केवल और केवल एक मकसद था वह था जिला पंचायत में उपाध्यक्ष पद हथियाना, जिसके लिए उन्होंने भतीजे प्रणव सिंह को मैदान में उतारा और जितवाने में सफल भी रहे। इसी मकसद के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने भी अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था लेकिन वे पुत्र राहुल को अपने ही भतीजे के हाथों करारी हार से नहीं बचा पाए। दरअसल अध्यक्ष पद अजजा महिला के लिए आरक्षित होने से लड़ाई के केंद्र में उपाध्यक्ष का पद आ गया लेकिन कांग्रेस दोनों पद मुट्ठी में करने पर आमादा है।
किसकी कितनी ताकत
जिला पंचायत की नवनिर्वाचित सदस्यों की सूची को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की ओर से किये जा रहे दावों में कितनी सच्चाई है यह तो 29 जुलाई को स्पष्ट हो पायेगा, लेकिन दोनों दलों की ओर से जिला पंचायत पर कब्जा करने की होड़ तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी कार्यालय की ओर से घोषित 20 प्रत्याशियों में से केवल 4 जीत कर आये है। जबकि उसके 16 प्रत्याशी मैदान हार चुके है। बावजूद इसके पार्टी की ओर से 7 सदस्य जीतने के दावे किये जा रहे हैं, जिसमें 3 स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे, जबकि कांग्रेस ने कोई सूची जारी नहीं की थी। परन्तु चुनाव नतीजे आने के बाद 13 सदस्यों पर दावा ठोंक रही है। 32 सदस्यीय जिला पंचायत में 12 निर्दलीय जीत कर आये, इन्ही निर्दलीयों पर भाजपा और कांग्रेस दोनो का दारोमदार टिका है।
फैक्ट फाइल
भाजपा : 4+3 (7)
कांग्रेस: 13 (दावा)
निर्दलीय: 12
कुल: 32