Damoh. हम चाहे कितनी भी महिला सशक्तिकरण की बातें कर लें। दुर्गावती, लक्ष्मीबाई और इंदिरा गांधी की शान में कसीदे पढ़ लें। लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि आज के दौर में भी पुरूष प्रधान समाज महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता, उसे घरेलू कामकाज और घर की चहारदिवारी के अंदर कैद रखना चाहता है। ताजा मामला दमोह के हटा तहसील का है जहां हाल ही में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में निर्वाचित हुईं महिला सरपंच और महिला पंचों की जगह उनके पति परमेश्वरों ने पद और गोपनीयता की शपथ ले डाली।
महिला सशक्तिकरण की बात भले ही की जाती है, लेकिन वास्तविकता में महिलाएं सशक्त होती नही दिखती। इसी तरह के महिला सशक्तिकरण का मजाक हटा जनपद अंतर्गत उड़ाया गया है। यहां ग्राम पंचायत गैसाबाद में बुधवार को नव निर्वाचित सरपंच और पंचों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया, लेकिन निर्वाचित महिला सरपंच और 11 महिला पंचों के स्थान पर उनके पतियों ने शपथ ले ली और पंचायत सचिव ने यह शपथ दिला दी। इस शपथ ग्रहण समारोह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
गेसाबाद में सरपंच पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है जिस पर सरपंच ललिता अहिरवार चुनीं गई हैं। उनकी जगह उनके पति विनोद अहिरवार ने शपथ ली है।
इस पंचायत में 20 सदस्य है जिसमे 11 महिलाएं एवं 9 पुरुष पंच पद पर चुने गए हैं। 11 पंच महिलाओं की जगह उनके पतियों ने ही शपथ ले ली इस शपथ ग्रहण समारोह में एक भी निर्वाचित महिला नहीं पहुंची ।
ग्राम पंचायत के सचिव धुनसिंह ने यह शपथ दिलाई
यहां गौर करने वाली बात यह है की पंचायत सचिव ने निर्वाचित महिलाओं की अनुपस्थिति पर आपत्ति दर्ज न कराते हुए उनके पतियों को ही शपथ दिला दी।
ग्राम पंचायत भवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया
अब इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ अजय श्रीवास्तव का कहना है की जो व्यक्ति जिस पद के लिए निर्वाचित हुआ है, उसे ही शपथ लेने का प्रावधान है । महिलाओं की जगह उनके पति शपथ नहीं ले सकते। यदि गैसाबाद पंचायत में यह हुआ है तो जनपद सीईओ से इसकी जानकारी ली जाएगी। यहां पर जो महिलाएं जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुई हैं, उन्हीं को शपथ दिलाई जाएगी। हालांकि इस उलटबासी को चुपचाप संपन्न करा देने वाले पंचायत सचिव पर क्या कार्रवाई होगी इस बात से जिला पंचायत सीईओ ने भी पल्ला झाड़ लिया।
इस मामले में दमोह कलेक्टर एसकृष्ण चेतन्य का कहना है की अभी उनके संज्ञान में यह मामला नहीं आया । वह एसडीएम से जानकारी लेते हैं और मामले की जांच करवाते हैं उसके बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।
देश के पंचायती राज पर एक चर्चित वेब सिरीज पंचायत में भी महिला जनप्रतिनिधियों के साथ होने वाले इस पक्षपात पर जमकर प्रहार किया गया था। वेबसिरीज के पहले सीजन में यह दिखाया गया था कि किस तरह प्रधान के पद पर निर्वाचित महिला को राष्ट्रीय त्यौहार पर झंडारोहण करने के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है। कुछ ऐसा ही हाल दमोह के हटा तहसील में भी दिखाई दे गया। जो कड़वी सच्चाई भी है और नियमों का माखौल भी। अब देखना यह होगा कि इस मामले को प्रशासन कितनी संजीदगी से लेता है।
शुजालपुर में भी हो चुका है ऐसा कांड
बीते पंचायत चुनावों के बाद शुजालपुर की हन्नूखेड़ी ग्राम पंचायत में भी ऐसी घटना हो चुकी हैं। 24 मार्च 2015 को हुए इस मामले में हद तो तब हो गई थी जब महिला सरपंच का पति जो कि खुद शासकीय कर्मचारी था उसने शपथ ले डाली थी। जिसके बाद पंचायत सचिव और सरपंच के खिलाफ नोटिसबाजी और जांच का लंबा घटनाक्रम चला था।