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Jabalpur. जबलपुर में प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाईओवर निर्माणाधीन है लेकिन इसकी जद में आने वाले रहवासियों की जमीन अधिग्रहित करने के बदले आर्बिट्रेटर ने जो मुआवजा तय किया है वह अब सरकार को मंजूर नहीं है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच के समक्ष सरकार द्वारा मामले में आपत्ति जाहिर की गई है। इस पर अदालत ने सरकार को विधिवत आपत्ति प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुए मोहलत दी है। हाईकोर्ट ने फ्लाईओवर के लिए मदन महल और राइट टाउन क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण की जद में आने वालों को हटाने पर पूर्व में लगाई गई रोक को भी बरकरार रखा है। इस मामले में आधा सैकड़ा से ज्यादा लोगों की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं।
हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एसएस झा, पूर्व लोकायुक्त पीपी नावलेकर समेत अन्य याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं जिन्होंने याचिका दायर कर उचित मुआवजा देने की मांग रखी है। अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने बताया कि राइट टाउन क्षेत्र में नगर निगम ने कुछ लोगों को नोटिस जारी किए थे और मुआवजे के लिए दस्तावेज पेश करने को कहा था। बाद में नगर निगम ने यह कहते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया कि अधिग्रहित की जा रही जमीन अतिक्रमण है। बता दें कि उक्त स्थान पर पहले से 36 मीटर की सड़क है। कोर्ट को यह बताया गया कि पिछले मास्टर प्लान में यहां 30 मीटर सड़क दर्शाई गई है। दूसरी ओर मदन महल में लीजधारकों को भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। नगर निगम का तर्क यह है कि लीजधारकों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह कहा गया है कि उनके पास स्थाई पट्टा है और वे नियमित रूप से लीज रिन्यू भी कराते चले आ रहे हैं और लीज रेंट भी भरते हैं। नियमानुसार स्थाई पट्टाधारकों को अपनी जमीन के बदले मुआवजा पाने का पूरा अधिकार है।
इस मामले में मुआवजे का निर्धारण करने के लिए हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज को आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था। आर्बिट्रेटर की रिपोर्ट में मदन महल क्षेत्र की जमीन का 100 प्रतिशत और अन्य क्षेत्रों का 80 फीसद मुआवजा अनुमोदित किया गया था। सोमवार को राज्य शासन की ओर से इस अनुमोदन को मानने से इनकार कर दिया गया।
कोरोना काल में वसूली ज्यादा फीस न लौटाने पर सख्त हाईकोर्ट
इधर हाईकोर्ट ने अपने पूर्व आदेश के पालन न किए जाने पर सख्ती बरतते हुए भोपाल के सागर पब्लिक स्कूल के चेयरमैन सुधीर अग्रवाल और ग्रुप के 5 स्कूलों के प्राचार्यों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का निर्णय लिया है। इसके तहत मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच दो नवंबर को इन सभी के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करेगी। इस दिन इन सभी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
माय पेरेंट्स एसोसिएशन, भोपाल की ओर से यह याचिका दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि 4 नवंबर 2020 को हाईकोर्ट के कोरोना काल के चलते निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस वसूल करने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद सागर पब्लिक स्कूल ने छात्रों से ट्यूशन के अलावा गेम्स, प्रेक्टिकल, लैब, लाइब्रेरी सहित अन्य कई मदों में फीस वसूली कर ली। इसी के विरूद्ध यह अवमानना याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट को स्कूल प्रबंधन की ओर से बताया गया कि उन्होंने कोरोना में अधिक वसूली गई फीस लौटा दी।
याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने आपत्ति जाहिर करते हुए हाईकोर्ट को अवगत कराया कि अधिक वसूली गई फीस नहीं लौटाई गई। इसका हिसाब भी नहीं बताया गया। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर कर सागर अनावेदकों पर सख्ती दिखाते हुए अगली सुनवाई में अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।