Jabalpur. जबलपुर के लार्डगंज थाना इलाके के राइट टाउन स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में दूसरे राज्यों के लोगों को भी आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल में भर्ती किया जाता रहा। एसआईटी की जांच में कुछ दस्तावेज मिले हैं। जिनके अनुसार कुछ लोग मूलतः महाराष्ट्र के निवासी थे, उनको सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था।
इतना ही नहीं उनका इलाज भी आयुष्मान योजना के तहत किया गया। एसआईटी यह जानकारी मिलने के बाद जांच के लिए महाराष्ट्र जा सकती है। जहां अस्पताल में मरीज बनकर भर्ती हुए लोगों के बयान दर्ज किए जाऐंगे।
इधर मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी में 4 अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं। सभी टीमों को जांच के लिए अलग-अलग काम सौंपे गए हैं। टीम ने करीब दो हजार मरीजों को चिन्हित कर लिया है, जिनके बिल 10 हजार रुपए से अधिक के हैं। इसके साथ ही सायबर सेल की मदद से अस्पताल से जब्त किए गए कंप्यूटर से डिलीट किया गया डाटा भी रिकवर करा लिया गया है।
एसआईटी ने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों से पूछताछ की थी। जिसमें कई कर्मचारियों ने यह बयान दिया था कि वह अस्पताल में आयुष्मान हितग्राही को भर्ती करवाते थे तो अस्पताल संचालक दुहिता पाठक और उनके पति डॉ अश्वनी कुमार पाठक बतौर कमीशन 5 हजार रुपए देते थे। कमीशन लेने के लिए कर्मचारियों ने कई बार एक ही परिवार के लोगों को अलग-अलग तारीख में भर्ती किया था।
यह है मामला
दरअसल 26 अगस्त को पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर अस्पताल के सामने स्थित होटल वेगा में छापा मारा था। जांच के दौरान होटल वेगा और सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारी मरीज भर्ती पाए गए। अस्पताल संचालक दुहिता पाठक और उनके पति डॉ अश्वनी पाठक ने कई लोगों को फर्जी मरीज बनाकर यहां रखा था। होटल के कमरों में तीन-तीन लोग भर्ती पाए गए थे। इसके बाद पुलिस ने डॉ दंपती के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था। वर्तमान में डॉक्टर दंपती जेल में बंद हैं।