नलखेड़ा की मां बगुलामुखी के दरबार में स्मरण मात्र से मिलेंगी दैवीय शक्तियां

author-image
एडिट
New Update
नलखेड़ा की मां बगुलामुखी के दरबार में स्मरण मात्र से मिलेंगी दैवीय शक्तियां

नलखेड़ा. सृष्टि के रचियता ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया, तब उसके वध के लिए मां बगुलामुखी की उत्पत्ति हुई। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। लंका पर जीत के लिए भगवान राम ने शत्रुनाशिनी मां बगुला की पूजा की और विजय पाई। मां को पीतांबरी भी कहा जाता है। क्योंकि मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है। युद्ध हो या राजनीति या फिर कोर्ट-कचहरी के विवाद, मां के मंदिर में यज्ञ कर हर कोई मन वांछित फल पाता है। मां बगलामुखी मे सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश माना जाता है। शत्रुनाशिनी देवी के पावन चरणों में केस मे फंसे लोग, शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए, कारोबार उन्नति, रुके काम बनने और समस्त कार्य सिद्धि के लिए यज्ञ कराते हैं।





युधि‍ष्ठिर ने बनवाया था मंदिर





मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगुलामुखी का यह मंदिर आगर जिले की तहसील नलखेड़ा में स्थित है। लखुंदर नदी के किनारे विशाल मंदिर है। लोगों की मान्यता है कि यह मंदिर द्वापर युग का है। इस मंदिर को चमत्कारिक माना जाता है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते हैं। इस मंदिर में माता बगुलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती भी विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर युधि‍ष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहां की बगुलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है।





तांत्रिक अनुष्ठानों का अधिक महत्व





नलखेड़ा में नदी के किनारे स्थित शक्तिपीठ में मां बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा है। मंदिर श्मशान क्षेत्र में बना है। इस जगह मंदिर के होने के कारण यहां सामान्य लोग कम आते हैं, लेकिन यहां तांत्रिक अनुष्ठानों का अधिक महत्व माना जाता है, क्योंकि मां बगुलामुखी तंत्र की देवी कहलाती हैं। तंत्र क्रिया के लिए यह मंदिर इतना प्रसिद्ध इसलिए है क्योंकि यहां की प्रतिमा जाग्रत मानी जाती है। इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के 12वें दिन की थी। मंदिर परिसर में बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आंकड़ा, आंवला, नीम और पीपल के वृक्ष एक साथ मौजूद हैं।





मां को पीली चीजें चढ़ाई जाती हैं 





बगुलामुखी की यह प्रतिमा पीताम्बर स्वरूप की है। इसलिए यहां देवी को पीले रंग की सामग्री चढ़ाई जाती है- पीला कपड़ा, पीली चुनरी, पीला प्रसाद, पीले फूल आदि। लोगों का कहना है कि इस मंदिर में कई चमत्कार हुए हैं। वहीं, मंदिर की पिछली दीवार पर पुत्ररत्न की प्राप्ति के लिए स्वस्तिक बनाने का प्रचलन है। यहां मनोकामनाओं की पूर्ति के अलावा दुखों का निवारण भी होता है। नवरात्रि के दौरान आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क फरियाली प्रसाद का वितरण सालों से जारी है। मंदिर परिसर में संतों और पुजारियों द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला लगातार चलता रहता है।



 



लखुंदर नदी बगुलामुखी Lakhundar River Shatrunasini Devi Bagulamukhi Nalkheda Madhya Pradesh आगर Yudhishthira Agar मध्यप्रदेश युधिष्ठिर नलखेडा