ट्रेनिंग के नाम पर की खानापूर्ति, हजारों रुपए वसूलकर थमा दी एंबुलेंस

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Shivasheesh Tiwari
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ट्रेनिंग के नाम पर की खानापूर्ति, हजारों रुपए वसूलकर थमा दी एंबुलेंस

Bhopal. मध्यप्रदेश में इंटीग्रेटेड रेफरल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईआरटीएस) यानी एंबुलेंस सर्विस का ठेका लेने वाली कंपनी की सेवाएं पहले ही दिन बेपटरी हो गई। 29 अप्रैल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब 1200 एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। लेकिन इनमें से कई गाड़ियां गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। अलग-अलग शहरों से करीब 35 गाड़ियों के एक्सीडेंट होने की खबर है। इन घटनाओं ने ठेका लेने वाली कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है, बेहतर सर्विस के दावों की पोल खोल दी है।



ट्रेनिंग के नाम पर वसूले हजारों रुपए



जय अंबे इमरजेंसी सर्विस ने ड्राइवर समेत तमाम कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से पहले ट्रेनिंग देने का दावा किया था। इसकी एवज में बेरोजगारों से हजारों रुपए वसूल भी किए। ड्राइवर के पद पर नौकरी देने से पहले अभ्यर्थियों से साढ़े 5 हजार रुपए से लेकर साढ़े 11 हजार रुपए तक वसूल किए है। भर्ती के दौरान प्रोजेक्ट हेड सुमित वासू का कहना था कि सभी को 30 से 45 दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी। लेकिन हकीकत ये हैं कि कंपनी ने ड्राइवरों से पैसा लेकर सिर्फ दस्तावेज एकत्रित किए थे। खानापूर्ति के लिए एक दिन के लिए भोपाल ऑफिस बुलाया था।



डीडी लेकर दे दिया ऑफर लेटर



द सूत्र से बातचीत में एंबुलेंस ड्राइवरों ने बताया कि उनसे ट्रेनिंग के नाम पर डीडी ली गई थी। जय अंबे कंपनी ने रायपुर के एनजीओ डिजिलेंस हेल्पिंग हेंड फाउंडेशन के नाम पर डीडी ली थी। ड्राइवरों ने बताया कि ट्रेनिंग के नाम पर उन्हें टायर बदलना बताया गया है। सूत्रों का कहना हैं कि कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने ट्रायल लेकर भी नहीं देखा कि ड्राइवर की नौकरी पर जिसे रख रहे उसे गाड़ी चलाना आता भी है या नहीं।



वीडियो देखने में मगन थे ड्राइवर



पहले ही दिन इतने सारे हादसे होने की तमाम कारण हैं। ड्राइवरों की लापरवाही की वजह से गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुई। जिस एमटीडी (मोबाइल डेटा टर्मिनल) डिवाइस का उपयोग मरीज की लोकेशन तक पहुंचने में किया जाना चाहिए। उस पर एंबुलेंस ड्राइवर गानों के वीडियो देख रहे थे। 



जवाब देने से बच रहे जय अंबे एंबुलेंस सर्विस के अधिकारी



इतनी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद अब जय अंबे एंबुलेंस सर्विस के अधिकारी जवाब देने से बच रहे है। प्रोजेक्ट हेड सुमित वासू फोन रिसीव नहीं कर रहे। वहीं डिप्टी हेड सुमित चौरसिया जवाब देने की बजाए मार्केटिंग वालों से बात करने को कह रहे है। कंपनी का कहना हैं कि हर घटना की जांच की जा रही है।



कुछ घटनाओं का ब्यौरा-




  • भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरी झंड़ी दिखाकर एंबुलेंस गाड़ियों को रवाना किया। इसी दौरान दो गाड़ियां आपस में टकरा गई।


  • टीकमगढ़ की खड़गपुर लोकेशन के लिए भेजी गई एंबुलेंस रास्ते में ही पलट गई।

  • सिवनी जिले के घंसौर में नौसिखिए ड्राइवर ने सीवर लाइन के चेंबर पर एंबुलेंस चढ़ा थी, जिससे उसके पहिए वहीं रुक कर रह गए।

  • ग्वालियर में दो एंबुलेंस आपस में टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई।

  • सागर जा रही एंबुलेंस रास्ते में ही सीज हो गई। बताया जा रहा हैं कि ड्राइवर हैंडब्रेक खींचकर गाड़ी चला रहा था।

  • इंदौर के पास बेटमा के पास एंबुलेंस एक अज्ञात वाहन से टकरा गई।


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