SIDHI. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण की मतगणना में जिला पंचायत पहुंचने का सपना सजोये दिग्गज नेताओं के सपने चकनाचूर हों गए हैं l राजनीति में लम्बे समय से सक्रिय नेताओं को मतदाता ने नकार दिया है l जनता ने ऐसे लोगो को चुनाव जिताया है जिनकी राजनैतिक यात्रा हाल के वर्षो में शुरू हुई है या पूरी तरह से नए रहे है l पहले चरण में बढ़त बनाने वाली कांग्रेस इस बार भी फायदे में दिखी है l पंचायत चुनाव यूँ तो दलीय आधार पर नहीं हो रहे किन्तु दलों से जुड़े अभ्यर्थियों के कारण ही दलगत चित्र उभर रहे हैं l सीधी जिले में पहले चरण में हुए मतदान की गणना में कांग्रेस से जुड़े अधिकांश लोग चुनाव जीतने में सफल रहे हैं l जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों को मिले मतों की गणना सोमवार को शुरू हुई जो अगले दिन ही सम्पन्न भी हो गयी l दूसरे चरण की गणना में कांग्रेस व भाजपा के दिग्गजों के भाग्य का फैसला होना था किन्तु परिणाम उम्मीद के उलट आये हैं l कांग्रेस के दिग्गज नेता विष्णु बहादुर सिंह खड्डी वार्ड से तो पूर्व सांसद गोविन्द मिश्रा के भाई बृजेन्द्र मिश्रा हर्दिहा पवाई से चुनाव हार गए हैं lइसी तरह हर्दिहा वार्ड से भाजपा नेता व पूर्व विंध्य विकास प्राधिकरण अध्यक्ष सुभाष सिंह की पत्नी श्रीमती माया सिंह को भी पराजय का सामना करना पड़ा है l दिग्गज नेताओं ने चुनाव जीतने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी फिर भी सफल नहीं हो सके l बता दें की खड्डी वार्ड से प्रदीप शुक्ला, हनुमानगढ़ से नीलम कुलदीप शुक्ला, खड़ौरा से छोटू पयासी, हर्दिहा से राहुल पटेल, भरतपुर से के डी सिंह जीत गए हैं l
रिंकू को नहीं रोक पाए नेता
हनुमान गढ़ वार्ड का चुनाव चुरहट विधायक शरदेन्दु तिवारी के गृह क्षेत्र का होने के कारण काफी दिलचस्प रहा है l यहाँ से श्रीमती नीलम कुलदीप शुक्ला चुनाव मैदान में रही हैं l सत्तापक्ष के नेता कुलदीप उर्फ़ रिंकू शुक्ला को नहीं चाहते थे की वे किसी भी कीमत में चुनाव जीते l रिंकू इसके पहले भी भाजपा नेताओं के आँख की किरकिरी बने हुए थे किन्तु जबसे कांग्रेस के हुए तब से तो जानी दुश्मन बन गए l इसीलिए चुनाव में उन्हें रोकने की भरपूर कोशिश की गयी l मतदान के दिन तो रिंकू को नजरबंद करने तक की खबर आई थी, हालाँकि पुलिस ने इस तरह की खबरों का खंडन किया था l रिंकू के मुताबिक पुलिस ने उन्हें घर में रहने की हिदायत दी थी जिस कारण गिरफ्तारी के डर से नहीं निकले थे l यह तो जनता का स्नेह था की किसी की नहीं सुना और जीत का ताज उन्हें पहना दिया l
पिछली भूल से लिया सबक
पहले चरण की गणना में जिस तरह की अव्यवस्था दिखी है दूसरे चरण में वैसी नहीं रही l पहले चरण में तो तीन दिन लग गए थे किन्तु इस बार डेढ़ दिन ही गणना में लगे हैं l अव्यवस्था, लेट लतीफी से प्रशासन की काफी किरकिरी हुई थी lलोग कहने लगे थे की जब पंचायत चुनाव में प्रशासन की जान निकल गयी, विधानसभा,लोकसभा चुनाव में क्या होगा l पिछली भूल से अंततः प्रशासन ने सबक लिया तो दूसरे चरण की गणना में ही असर दिख गया, लोगो को पहले दिन ही स्पष्ट रुझान मिलने लगे l