इंदौर स्वास्थ्य विभाग की शर्मनाक करतूत, कोरोना काल में 2 से 7 गुना दाम में खरीदी सामग्री, CNHO और इंद्रमणि पटेल का नाम घोटाले में

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The Sootr CG
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इंदौर स्वास्थ्य विभाग की शर्मनाक करतूत, कोरोना काल में 2 से 7 गुना दाम में खरीदी सामग्री, CNHO और इंद्रमणि पटेल का नाम घोटाले में

Indore. विजयादशमी पर्व  बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक  मनाया इसलिए जाता है ताकि लोग बुराई को दूर कर सकें आदि काल से रावण के पुतले को जलाया जा रहा है लेकिन बुराई है कि दूर होने का नाम नहीं ले रही।  सरकारी सिस्टम में तो कई सारी बुराइयां हैं। अभी जो रिपोर्ट आपने देखी वो लालफीताशाही, लापरवाही, जनता के प्रति जवाबदेह न होने की बुराई है लेकिन सिस्टम में एक और बुराई है ये बुराई कम होने के बजाए बढ़ती ही चली जा रही है। 



 रावण के रूप में ये बुराई है  भ्रष्टाचार 



जनता के पैसे की बंदरबांट की नीयत सरकारी सिस्टम में पनप रहे भ्रष्टाचार के रावण का सिर तो हर साल बड़ा ही होता जा रहा है और इस रावण का एक ताजा उदाहरण इंदौर से सामने आया है। जहां स्वास्थ्य विभाग ने कोविड काल 5 करोड़ रु. से ज्यादा का घोटाला किया है। 



सरकारी विभागों ने अवसर में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी



कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा घातक मरीजों की संख्या ज्यादा मौतें, ज्यादा ऑक्सीजन के लिए हाहाकार, बैड के लिए जद्दोजहद, अपनों को खोने का दर्द,  कोविड की इस दूसरी लहर में लोगों ने जान गंवाई। इंतजाम नाकाफी पड़ गए। इस आपदा को सरकारी विभागों ने अवसर में बदलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उन्हीं में से एक इंदौर का स्वास्थ्य महकमा है।  दूसरी लहर के दौरान जब बैड की कमी हो रही थी तो राधास्वामी सत्संग केंद्र को कोविड सेंटर में बदला गया। यहां ऑक्सीजन वाले 500 बैड की व्यवस्था की गई थी। ये पिछले साल की तस्वीरें है जब राधा स्वामी सत्संग केंद्र को कोविड सेंटर में बदला गया। इसमें आरएसएस के कार्यकर्ताओं की भी भागीदारी थी। समाजसेवियों ने भी खूब दान दिया था और स्वास्थ्य महकमे को भी यहां इंतजाम करने थे लेकिन  स्वास्थ्य अमले ने आपदा को अवसर में बदल दिया।  दरअसल स्वास्थ्य अमले ने इस कोविड सेंटर के लिए सात गुना महंगी सामग्री खरीदी।  राधा स्वामी कोविड सेंटर के लिए कौन- कौन सी सामग्री खरीदी गई थी ये उसकी पूरी लिस्ट है। स्वास्थ्य विभाग में खरीदी के लिए मप्र सरकार का एक पोर्टल है मप्र पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड जिसमें सभी वस्तुओं के दाम पहले से तय हैं लेकिन इस पोर्टल से खरीदी की ही नहीं गई। खुले बाजार से सामान खरीदा गया। 



कौन सा सामान कितनी कीमत में खरीदा गया?



स्टेथेस्कोप




  • बाजार दर- 1250 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 490 रु.



  • इन्फ्रारेड थर्मामीटर




    • बाजार दर- 2535 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 350 रु.



  • व्हीलचेयर




    • बाजार दर-  11500 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 7000 रु.



  • ईसीजी मशीन




    • बाजार दर- 82 हजार 500 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 27 हजार रु.



  • थ्री लेयर मास्क




    • बाजार दर- 2.48 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 1 रु.



  • सैनिटाइजर (100 ML)




    • बाजार दर- 46.95 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 14 रु.



  • स्ट्रेचर




    • बाजार दर- 14 हजार 250 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 7 हजार 180 रु.



  • बीपी मशीन




    • बाजार दर- 2600 रु. 


  • पोर्टल पर कीमत- 100 रु. 



  • पल्स ऑक्सीमीटर




    • बाजार दर - 2600 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 1500 रु



  • ब्लैंकेट




    • बाजार दर- 500 रु. 


  • पोर्टल पर कीमत- 300 रु. 



  • आईवी स्टैंड




    • बाजार दर-  3496 रु. 


  • पोर्टल पर कीमत- 895 रु.



  • यूरिन पॉट




    • बाजार दर - 207 रु.


  • पोर्टल पर कीमत- 110 रु. 



  • घोटाला सामने के बाद विभाग के जुड़े अधिकारी दे रहे सफाई



    खास बात ये भी है कि चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर में ऐसी शर्तें रखी गई कि दूसरी पार्टीज वैसे ही बाहर जाएं और केवल चहेते फर्म को ही पूरा फायदा मिल सकें। अब घोटाला सामने के बाद विभाग के जुडे लोग यह सफाई रहे हैं कि इस पोर्टल से खरीदी के लिए एडवांस एमाउंट देना पड़ता है और ये व्यवस्था कोविड काल में नहीं थी इसलिए खुले बाजार से सामग्री खरीदी गई। इस घोटाले में सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या और एक अन्य अधिकारी इंद्रमणि पटेल का नाम सामने आ रहा है। जब द सूत्र ने सीएमएचओ से पूछा तो उन्होंने कहा, जांच चल रही है और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। मामले की जांच तो चल रही है लेकिन इस घोटाले में एकबात ये भी है कि अधिकारियों ने वो सामग्री भी खरीद ली जिसकी जरूरत ही नहीं थी। 



    सवा दो करोड़ रु. लालची अफसरों की जेब में गए 



    कोरोना काल के दौरान राधास्वामी कोविड केयर सेंटर में कम गंभीर और बिना लक्षण वाले मरीजों को रखा गया था  फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने डिफ्रीब्रिलेटर और हार्ट अटैक के दौरान झटका देने वाली मशीनें खरीदीं वो भी तीन लाख रु. की दर से जबकि विभाग के पोर्टल पर इसकी कीमत सिर्फ 1.85 लाख रु. है और विभाग ने एक-दो नहीं बल्कि पूरी 15 मशीनें खरीदीं और भुगतान दिखाया पूरे 45 लाख रु।  जबकि पूरे कोरोना काल में एक मशीन का भी ठीक ढंग से उपयोग नहीं हुआ।  यानी स्वास्थ्य विभाग ने कुल 62 आइटम खरीदे भुगतान किया 5 करोड़ 12 लाख 95 हजार 611 रु जबकि अगर यही आइटम पोर्टल से खरीदे जाते तो सिर्फ दो करोड़ 85 लाख 04 हजार 440 रु. का ही भुगतान करना पड़ता... यानी सीधे तौर पर जनता की गाढ़ी कमाई के करीब सवा दो करोड़ रु. लालची अफसरों की जेब में चले गए। 

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