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BHOPAL. राजा भैया, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, अमरमणि त्रिपाठी, पप्पू यादव, शहाबुद्दीन अनंत सिंह, आनंद मोहन, इनमें से कुछ नाम आपने सुने होंगे तो कुछ आपके लिए अनजान होंगे। ये सब नेताओं के नाम है और इन सभी नेताओं में एक बात कॉमन है कि ये सभी बाहुबली कहलाते हैं। कुछ यूपी के बाहुबली है और कुछ बिहार के, इन्हें बाहुबली इसलिए कहते हैं कि क्योंकि राजनीति में आने से पहले इन्होंने अपराध की दुनिया में अपने नाम का डंका बजाया। मौका मिला तो सियासत में एंट्री मारते हैं। मध्यप्रदेश के एक नेता ऐसे हैं जो इस राह पर चलते नजर आ रहे हैं।
प्रीतम लोधी को बीजेपी से किया बाहर
बीते दिनों बीजेपी कार्यालय में नेताओं की भीड़ पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलने के लिए खड़ी थी। कुछ देर बार वीडी शर्मा की गाड़ी कार्यालय से निकली तो भीड़ को धक्का देते हुए एक शख्स वीडी शर्मा तक पहुंचा और एक लिफाफा दिया। लिफाफा देकर हाथ जोड़े। इस घटनाक्रम तक इस चेहरे को बेहद चुनिंदा लोग ही जानते थे लेकिन इसके बाद जो घटनाक्रम हुआ उसके बाद से प्रीतम लोधी (63) को ज्यादातर लोग पहचानने लगे हैं। वीडी शर्मा से प्रीतम लोधी ने मुलाकात इसलिए की थी क्योंकि प्रीतम ने शिवपुरी में एक कार्यक्रम में ब्राह्मणों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के बाद पार्टी ने सख्ती दिखाते हुए लोधी को नोटिस दिया था। लोधी ने बाकायदा ब्राह्मण समुदाय से माफी भी मांगी थी लेकिन पार्टी ने लोधी को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
हारी हुई बाजी को पलटने वाले को बाजीगर कहते हैं
जैसे ही प्रीतम लोधी को पार्टी ने बाहर निकाला। लोधी ने फेसबुक पर अपनी फोटो बदली और लिखा- हारी हुई बाजी को पलटने वाले को बाजीगर कहते हैं और लिखा टाइगर अभी जिंदा है। उमा भारती के खास समर्थक कहे जाने वाले लोधी निष्कासन के बाद जब ग्वालियर पहुंचे तो स्टेशन पर उनके स्वागत के लिए भारी भीड़ उमड़ी। शिवपुरी के पिछोर में भी प्रीतम लोधी ने एक बड़ी रैली कर शक्ति प्रदर्शन किया। इसके बाद लोधी लगातार ग्वालियर चंबल संभाग में सक्रिय हैं।
सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए प्रीतम लोधी
25 अगस्त को लोधी ने भिंड जिले में रैली की, हालांकि रैली पथराव के चलते विवादों में घिर गई। प्रीतम लोधी ने पार्टी से निष्कासन के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वो सागर भी जाने वाले है और लोधी समाज को एकजुट करने में जुटे हैं। प्रीतम लोधी ने भी अपराध की दुनिया में डंका बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रीतम पर 37 आपराधिक मामले दर्ज हैं इसमें तो कई मामले गंभीर किस्म यानी हत्या, हत्या के प्रयास जैसे मामले हैं, तो क्या प्रीतम लोधी राजा भैया, शहाबुद्दीन, अनंत सिंह जैसे बाहुबलियों के नक्शे कदम पर चलने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रीतम लोधी के अपराधों की लिस्ट
ग्वालियर के पुरानी छावनी थाने में प्रीतम लोधी का नाम हिस्ट्रीशीटर्स की लिस्ट में शामिल रहा है। पुरानी छावनी थाने में प्रीतम पर 1976 में सबसे पहले बलवा, मारपीट की धाराओं में मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद से प्रीतम पर पुरानी छावनी थाने में ही करीब 25 मामले दर्ज है। इसके अलावा मुरार और शिवपुरी के खनियाधाना थाने में भी मामले दर्ज है। इस तरह से प्रीतम पर 37 मामले दर्ज हैं। इनमें से कुछ मामले बेहद संगीन किस्म है जिसमें हत्या और हत्या के प्रयास की धाराएं लगी हुई है।
प्रीतम लोधी पर शुरू से रहा राजनीतिक संरक्षण
प्रीतम लोधी पर शुरू से ही राजनीति संरक्षण रहा है। अकबरपुर और जलालपुर का वो सरपंच भी रहा है तो उमा भारती के खास समर्थक होने का फायदा भी लोधी को मिलता रहा है। उमा भारती ने जब भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई तो लोधी ने भी भारतीय जनशक्ति पार्टी ज्वॉइन की। इसके बाद उमा के बीजेपी में वापसी के साथ लोधी ने भी बीजेपी में वापसी की। 2013 के चुनाव में बीजेपी ने लोधी को पिछोर से टिकट दिया था। प्रीतम लोधी को टिकट देने का मकसद था पिछोर सीट को हथियाना क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस के केपी सिंह कक्काजू लगातार चुनाव जीतते रहे हैं, लेकिन प्रीतम लोधी की 6 हजार वोटों से हार हो गई। 2018 में बीजेपी ने एक बार फिर प्रीतम लोधी को टिकट दिया इस बार लोधी की केवल ढाई हजार वोटों से हार हुई। दो बार चुनाव लड़ने वाले लोधी से पार्टी ने एक बयान के बाद किनारा कर लिया।
बीजेपी को लोधी से किनारा करना ही था
दरअसल बीजेपी पार्टी को वैसे भी लोधी से किनारा करना ही था क्योंकि नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने तय किया कि वो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को टिकट नहीं देगी और यही फॉर्मूला विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अपनाएगी। अब जिसके खिलाफ 37 मामले दर्ज हो उसे यदि पार्टी उम्मीदवार बनाती तो पार्टी की किरकिरी होती क्योंकि पिछोर से एक बार फिर लोधी प्रमुख दावेदार थे। अब प्रीतम लोधी अपने समाज को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि लोधी समाज के 40 लाख वोटर्स हैं। मगर बीजेपी ने लोधी समाज के बड़े चेहरों को जगह दी है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल लोधी समुदाय से आते हैं। ऐसे में प्रीतम लोधी का प्रभाव पूरे समुदाय पर पड़ेगा। ऐसा लगता नहीं है जिस तरह से यूपी के राजा भैया उर्फ कुंवर रघुराज प्रताप सिंह ने सात बार निर्दलीय चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया है अब उसी राह पर लोधी चलते नजर आ रहे हैं। राजा भैया पर भी 47 मामले दर्ज हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए जनसमर्थन जरूरी है और लोधी ने यही कोशिश शुरू की है लेकिन क्या वो बाहुबली नेता बनने में कामयाबी हासिल करेंगे ये कुछ समय बाद साफ होगा।