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JABALPUR. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नर्सिंग कॉलेजों (Nursing College) की मान्यता में हुए फर्जीवाड़े से संबंधित जनहित याचिका (Public Interest Litigation ) पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में सुनवाई हुई। इसमें प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों के वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के टीचिंग स्टाफ व इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित डाटा हाईकोर्ट में पेश किया गया। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ (Justice Ravi Malimath) और जस्टिस विशाल मिश्रा (Justice Vishal Mishra) की युगलपीठ ने नर्सिंग काउंसिल के पालन प्रतिवेदन और शपथ पत्र (Affidavit) को रिकार्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की। वकील आलोक वागरेचा ने कोर्ट को बताया कि डिजिटल डाटा में अधूरा रिकार्ड उपलब्ध कराया गया है।
रिजल्ट घोषित करना गलत नहीं, क्योंकि विवि ने अनुमति दी थी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में कहा कि जब मेडिकल यूनिवर्सिटी ने स्वयं ही चतुर्थ वर्ष के एग्जाम में शामिल होने की अनुमति दी है तो उसका रिजल्ट घोषित करने का आदेश गलत नहीं हो सकता। इस आशय के साथ जस्टिस डीडी बंसल की एकलपीठ ने मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पूर्व के 27आदेश को पुनरीक्षण करने की मांग की गई थी। छिंदवाड़ा की शालिनी टाइटस और मेघा दुबे की ओर से वकील रोहित पैगवार ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने सविता इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज भोपाल से बीएससी नर्सिंग में प्रवेश लिया था। उन्होंने तीसरे वर्ष का एग्जाम दिया लेकिन उसका रिजल्ट नहीं आया। इस दौरान चौथे वर्ष के एग्जाम की डेट आ गई। यूनिवर्सिटी ने एडमिट कार्ड दिए और वे एग्जाम में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी ने चौथे वर्ष का रिजल्ट रोक लिया। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं के अंतिम वर्ष का रिजल्ट घोषित किया जाए।