Jabalpur. जबलपुर में निजी अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड के बाद प्रोविजनल फायर एनओसी पर चल रहे 70 फीसद निजी अस्पतालों को एक माह का समय दिया गया था कि वे 3 साल की अवधि के लिए टेंपरेरी फायर एनओसी ले लें। जिला प्रशासन के अल्टिमेटम की समयसीमा 8 सितंबर को खत्म होने जा रही है। करीब 15 दिन शेष रह गए हैं और ऐसे में एक भी निजी अस्पताल को अब तक टेंपरेरी फायर एनओसी नहीं मिल पाई है, जबकि सभी ने जांच शुरू होते ही ऑनलाइन आवेदन दे दिए थे।
फायर अधीक्षक की नहीं हो पाई नियुक्ति
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि निजी अस्पताल संचालकों द्वारा आवेदन के बाद भी फायर एनओसी नहीं मिलने की बात कही जा रही है। संचालकों ने इसके पीछे यह वजह बताई है कि नगर निगम में फायर अधीक्षक की नियुक्ति ही नहीं हो पाई है। दरअसल अग्निकांड के बाद तत्कालीन फायर अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया था।
बड़ा सवाल
अब इन हालातों में बड़ा सवाल यह है कि जिले में 136 के करीब निजी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं। इन सभी अस्पतालों के पास अब सिर्फ 15 दिन का समय बाकी है और इतने कम समय में सभी अस्पतालों का बारीकी से निरीक्षण कैसे हो पाएगा। सवाल यह भी है कि क्या एक बार फिर महज खानापूर्ति कराके सभी अस्पतालों को यूं ही फायर एनओसी थमा दी जाएगी।
3 चरण की प्रक्रिया के बाद मिलेगी एनओसी
नगर निगम के प्रभारी फायर अधीक्षक राजेंद्र पटेल ने बताया कि निजी अस्पतालों को अस्थाई फायर एनओसी देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि प्रक्रिया के 3 चरण पूरे होने के बाद ही अस्पतालों को एनओसी मिल पाएगी। उन्होंने संभावना जताई है कि समयसीमा खत्म होने के पहले ही यह काम पूरा हो जाएगा।