BHOPAL: ऑनलाइन मॉनिटरिंग में फेल हुई नई 108 एम्बुलेंस सर्विस, कंपनी अब सरकार से छूट लेने की जुगत में

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The Sootr CG
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BHOPAL: ऑनलाइन मॉनिटरिंग में फेल हुई नई 108 एम्बुलेंस सर्विस, कंपनी अब सरकार से छूट लेने की जुगत में

अंकुश मौर्य, BHOPAL. प्रदेश (Madhya Pradesh) में एंबुलेंस (Ambulance)  और जननी एक्सप्रेस (Janani Express) का संचालन कर रही जय अंबे इमरजेंसी सर्विस कंपनी (Jai Ambe Emergency Service Company) शुरुआत में ही लडखड़ाने लगी है। इमरजेंसी सर्विस का काम लेते वक्त कंपनी ने बड़े वादे और दावे किए थे। लेकिन एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिए बेहतर सेवा के दावे की दो महीने में ही कलई खुलनी शुरू हो गई है। कंपनी का फोकस जरूरतमंदों तक समय पर एंबुलेंस पहुंचाने की बजाए पैसा कमाने पर है। यहीं वजह हैं कि जुर्माने से बचने के लिए जय अंबे इमरजेंसी सर्विस ने नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) के सामने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया है। 





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आधी गाड़ियों से काम चला रही कंपनी





दिसंबर 2021 में जय अंबे इमरजेंसी सर्विस, रायपुर, छत्तीसगढ़ को एंबुलेंस सेवा का काम मिल गया था। नियमानुसार 2 महीने के अंदर कंपनी को काम टेकओवर करना था। लेकिन कंपनी ने दो बार दो-दो महीने का एक्सटेंशन ले लिया। जिसके कारण 30 अप्रैल 2022 से नई एंबुलेंस गाड़ियां सड़कों पर उतरी। लेकिन चार महीने देरी से काम शुरू करने और दो महीने बीत जाने के बावजूद पूरी संख्या में एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस सड़कों पर नहीं उतरी हैं। अभी कुल 1292 वाहन ही सड़कों पर हैं, जबकि प्रदेशभर में 2052 एंबुलेंस तैनात की जानी थी। 





जीपीएस और एमडीटी दोनों बंद हैं





टेंडर मिलने के चार महीने देरी से काम शुरु करने के पीछे कंपनी का तर्क था कि वो नई टेक्नोलॉजी के साथ एंबुलेंस सेवा लॉन्च कर रही है। लेकिन लॉन्चिंग के बाद ही उसकी तैयारियों की पोल खुल गई है। प्रदेश में चल रही एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस गाड़ियों में लगी एमडीटी यानी मोबाइल डाटा टर्मिनल डिवाइस (Mobile Data Terminal Device) और जीपीएस सिस्टम (GPS System) बंद पड़े हैं। जिसका खुलासा कंपनी के पत्र से ही हुआ है। कंपनी ने जुर्माने से बचने के लिए एनएचएम को पत्र लिखा हैं। जिसकी कॉपी द सूत्र के पास उपलब्ध है।





ओडोमीटर से रीडिंग कराना चाहती है कंपनी





कंपनी को दिए गए ठेके के नियम और शर्ते के मुताबिक बिल का भुगतान टेक्निकल डिवाइस के इनपुट के आधार पर होगा। लेकिन कंपनी चाहती हैं कि मैनुअल आंकड़ों के आधार पर ही बिल का भुगतान किया जाए।  कंपनी ने अपने पत्र में लिखा हैं कि ओडोमीटर यानी गाड़ियों के मीटर के आधार पर ही बिल का भुगतान कर दिया जाए। कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने 2016 में जारी हुए एनएचएम के एक पत्र की आड़ में रियायत दिए जाने की गुजारिश की है। यानी कंपनी काम लेते वक्त 2022 की टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने का दावा कर रही है और बिल के भुगतान के लिए 6 साल पुराने ढ़र्रे पर चलना चाहती है।





12 हजार वसूलकर भी ट्रेनिंग नहीं दे पा रही कंपनी





नौकरी देने से पहले जय अंबे कंपनी ट्रेनिंग देने की बात करती है। इसकी एवज में ड्राइवर के पद पर भी 12 हजार रुपए की वसूली की जा रही है। लेकिन पैसा लेकर भी कंपनी ड्राइवर और अन्य कर्मचारियों को ट्रेनिंग नहीं दे रही है। कंपनी के पत्र से ही इस बात का खुलासा हुआ है। एमडीटी और जीपीएस सिस्टम के काम न करने की वजह में कंपनी का कहना हैं कि ड्राइवर ट्रैंड नहीं है। लिहाजा वो एमडीटी का संचालन नहीं कर पा रहे है। मतलब साफ हैं कि ट्रेनिंग के नाम पर सिर्फ वसूली और खानापूर्ति की जा रही है। एनएचएम के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी हैं कि कंपनी बेरोजगारों से वसूली कर रही है। लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही।





ऐसे काम करता हैं एमडीटी और जीपीएस सिस्टम





एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस में एमडीटी और जीपीएस डिवाइस लगाई गई है। ताकि एंबुलेंस सर्विस की मॉनिटरिंग की जा सके। जीपीएस के जरिए पता चलता हैं कि कितनी गाड़ियां ऑन रोड हैं, उन्हें ट्रैक भी किया जा सकता है। वहीं एमडीटी और भी एडवांस टेक्नोलॉजी है। जिसमें जरूरतमंद की लोकेशन सीधे एंबुलेंस पायलट के सामने लगी डिवाइस पर पहुंच जाती है। डिवाइस के जरिए रिस्पांस टाइम यानी मरीज तक पहुंचने और उसे अस्पताल पहुंचाने का समय काउंट होता है। 





रिस्पांस टाइम और ऑनरोड गाड़ियों की नहीं मिल रही जानकारी





जय अंबे इमरजेंसी सर्विस समय पर जरूरतमंदों तक एंबुलेंस पहुंचाने में फेल हो रही है। दूसरी तरफ कई गाड़ियां ऑफरोड है। सूत्र बताते हैं कि 342 सरकारी गाड़ियां भी जय अंबे को मिली है। इन गाड़ियों का मेंटेनेंस किया जाना है। लेकिन जिगित्जा की तरह ही जय अंबे कंपनी भी सरकारी गाड़ियों में काम नहीं करा रही। लिहाजा 20 फीसदी एंबुलेंस गाड़ियां ऑफरोड हैं। मजेदार बात तो ये हैं कि एनएचएम के अधिकारी भी एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस गाड़ियों की ट्रैकिंग नहीं कर पा रहे है। कंपनी जो बता रही है, वहीं सच मानना मजबूरी बनता जा रहा है। एनएचएम के कंसल्टेंट दिनेश चतुर्वेदी ने माना कि कंपनी ने रियायत के लिए पत्र लिखा है। उनका कहना हैं कि नियमानुसार ही बिल का भुगतान किया जाएगा।



 



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