Bhopal. जयस (Jays) द्वारा जल्द ही प्रदर्शन किया जाएगा। 24 मई को खातेगांव (khategaon) पहुंचने की अपील का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ। जयस के तमाम बड़े नेता रामदेव काकोडिया (Ramdev Kakodia) को जिला बदर किए जाने के फैसले के विरोध में जंगी आंदोलन की अपील कर रहे हैं। दरअसल जिस दिन से रामदेव काकोडिया को जिला बदर किया गया, उसी दिन से सोशल मीडिया पर माहौल बनना शुरू हो गया था। जयस का कहना है कि कार्रवाई गलत तरीके से की गई।
ये है पूरा मामला
रामदेव काकोडिया पर जिला बदर की कार्रवाई क्यों की गई दरअसल पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) ने पिछले दिनों अपनी कथा के दौरान संविधान बदलने की बात की थी। इस पर देवास के एक युवक राहुल बारवाल (Rahul Barwal) ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट की। इसे लेकर राहुल बारवाल के खिलाफ शिकायत हुई। खातेगांव पुलिस पर आरोप है कि उसने राहुल बारवाल की मूंछे उखाड़ने की कोशिश की। रामदेव काकोडिया ने भी संविधान बदलने के बयान का विरोध किया था और पंडित प्रदीप मिश्रा पर देशद्रोह की धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की थी। सात मई को रामदेव को थाने बुलाया गया था। रामदेव का आरोप था कि वहां पहले से बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोग थे और उनकी मौजूदगी में उसके साथ मारपीट की गई।
जयस ने छेड़ा कैंपेन
इसके कुछ दिनों बाद रामदेव को जिला बदर करने के आदेश जारी हुए और तभी से जयस ने सोशल मीडिया पर कार्रवाई को गलत ठहराते हुए कैंपेन छेड़ा। इधर दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने भी रामदेव पर हुई कार्रवाई को गलत ठहराते हुए सीएम शिवराज (Shivraj Singh Chouhan) को चिट्ठी लिखी। लेकिन प्रदर्शन से एक दिन पहले सीएम के ओएसडी लक्ष्मण सिंह मरकाम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए जिला बदर की कार्रवाई को सही ठहराया। लिखा कि जो जातिवाद का जहर फैला रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई सही है और इसका समर्थन राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने भी किया कि युवा भ्रमित ना हो। लेकिन मामला सियासी रूप से तूल पकड़ चुका है विरोध और समर्थन के बीच 24 मई को होने वाले इस प्रदर्शन के बाद सियासत और गरमाने वाली है, इसमें कोई शक नहीं।
जयस के अंदरखाने की राजनीति
दरअसल जब रामदेव काकोडिया के समर्थन में जयस के नेताओं ने महौल बनाना शुरू किया तो जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और विधायक हीरा अलावा ने आनंद राय को टारगेट करते हुए एक पोस्ट किया कि राय आदिवासी युवाओं को भड़का रहे हैं। सरकार को राय के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यही से शुरू हुआ जयस के बीच विवाद। राय ने भी हीरा अलावा पर पलटवार किया और लिखा कि हीराअलावा की भाषा बीजेपी और आरएसएस के नेताओं जैसी है। फिर हीरा अलावा की इस पोस्ट पर ढेरों कमेंट आए लेकिन कोई भी हीरा अलावा के पक्ष में नहीं था। खुद रामदेव काकोडिया ने भी हीरा अलावा को घेरने में कसर नहीं छोड़ी।
हीरा अलावा और आनंद राय में गुटबाजी
दरअसल जयस पहले से ही दो गुटों में बंटा हुआ है। एक गुट हीरा अलावा (Hira Alawa) का है दूसरे गुट में आनंद राय (Anand Rai) शामिल है। हीरा अलावा की हाल ही में हुई शादी में सीएम और उनके ओएसडी लक्ष्मण सिंह मरकाम शामिल हुए थे। ऐसे में जयस के नेता ये मान रहे हैं कि हीरा अलावा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन अब उनका झुकाव बीजेपी की तरफ होता नजर आ रहा है। क्योंकि अलावा हाल ही में हुई कांग्रेस की आदिवासी विधायकों की बैठक से भी नदारद रहें। कुल मिलाकर जयस में पहले से ही दो गुटों के बीच वैचारिक मतभेद थे लेकिन रामदेव काकोडिया मामले से अब ये खुलकर बाहर आ चुके हैं और आने वाले समय में जयस में अंदरुनी तौर पर ये मामला और खदबदाने वाला है। ये भी संभावना है कि जयस के ये नेता अलग-अलग राह पकड़ लें।