MP: पंचायत चुनाव में जयस उतारेगा उम्मीदवार, पेसा एक्ट से वोटों में सेंध लगाने की तैयारी

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MP: पंचायत चुनाव में जयस उतारेगा उम्मीदवार, पेसा एक्ट से वोटों में सेंध लगाने की तैयारी

भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 नवंबर को मंडला में पेसा एक्ट (PESA Act) लागू करने की घोषणा की थी। इससे पहले भी वो कई बार इसकी घोषणा कर चुके हैं। सवाल यहीं कि शिवराज अक्सर अपने भाषणों में पेसा एक्ट का जिक्र क्यों कर रहे हैं? दरअसल, जयस (JAYS Panchayat election agenda) आदिवासी बाहुल्य 4500 पंचायतों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। इसी को काउंटर करने के लिए शिवराज सरकार (Shivraj Govt) पेसा एक्ट लागू करने वाली है। पेसा एक्ट कहता है कि स्थानीय संसाधनों पर अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) लोगों की समिति को अधिकार दिए जाने चाहिए। इससे ग्राम पंचायतों को जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिलता है।

देश के 10 राज्यों में कानून लागू

अप्रैल 1996 में पेसा एक्ट बना था। देश के दस राज्यों में ये कानून लागू है लेकिन छत्तीसगढ़, झारखंड, एमपी और ओडिशा में ये पूरी तरह से लागू नहीं है और अब सरकार चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करने की बात कर रही है।  आखिरकार अचानक पेसा एक्ट पर इतना जोर क्यों? दरअसल, अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांवों में इस बार जय युवा आदिवासी संगठन पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारियां कर रहा है। पंचायत चुनावों को विधानसभा चुनाव (Assembly election) का आधार माना जाता है। इसके जरिए पार्टियां जमीनी स्तर पर अपने आप को मजबूत करती है।

13 से 14 जिलों में जयस लड़ेगा चुनाव

जयस के संरक्षक डॉ. अभय ओहरी (Abhay Aohri) ने बताया कि प्रदेश में जो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) हो रहे हैं। उसमें जयस के प्रभाव वाले 13 से 14 जिलों में स्वतंत्र रूप से अपने उम्मीदवार उतारेंगे। बेरोजगारी (Unemployment) का मुद्दा, पलायन इन सभी मुद्दों से हम चुनाव लड़ेंगे। जयस के लिए ये चुनाव इसलिए भी जरूरी है कि जयस के युवा धीरे-धीरे राजनीति (Politics) में आ रहे हैं। राजनीति में उनकी दखल हो और इससे हम बड़े राजनीतिक दलों को जमीन पर काम करने के लिए चैलेंज कर सके। 

500 पंचायतों पर जीतने का टारगेट

हाल ही में जयस ने बिरसा मुंडा (Brisa Munda) की जयंती के बहाने आदिवासी इलाकों में शक्ति प्रदर्शन किया। जयस के कार्यक्रमों में भीड़ भी उमड़ी। इसके अलावा टंट्या भील (Tantia Bhil) के बलिदान दिवस के मौके पर भी जयस कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगौन, देवास, रतलाम, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, खंडवा, बुरहानपुर ये वो जिले है जहां जयस चुनावी ताल ठोंकने की तैयारी में है। मप्र में आदिवासियों के 89 ब्लॉक है और साढ़े पांच हजार पंचायतें है। जयस का टारगेट 500 पंचायतों पर कब्जा जमाना है। शायद इसलिए सरकार को पेसा एक्ट भी याद आ रहा है और आदिवासियों के महानायक भी। 

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