भोपाल। सरकार का बजट (government budget) प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास (Socio-Economic Development) का फाइनेंशियल एजेंडा (Financial Agenda) होता है। इसके माध्यम से सरकार नए वित्तीय वर्ष के लिए समाज के हर वर्ग और अर्थव्यवस्था (Economy) के हर सेक्टर के विकास के लिए नई योजनाओं और उस पर अमल के लिए भारीभरकम राशि का प्रावधान करती है। ये राशि अलग-अलग टैक्स के रूप में आम जनता की जेब से ही आती है। सरकार बजट बना देती है और इसके लिए जितनी राशि का प्रावधान किया जाता है उसमें से ज्यादातर राशि भ्रष्टाचार (corruption) की भेंट चढ़ जाती है। अक्सर ये तब साबित होता है जब कैग और दूसरी एजेंसी की ऑडिट या जांच रिपोर्ट (Audit Report) सामने आती है। ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि जिस काम या योजना के लिए पैसा आवंटित हुआ है उसका उपयोग ठीक तरीके से हो।
आरटीआई से ऐसे लगा सकते हैं भ्रष्टाचार पर अंकुश: देखने में आता है कि सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता, निगरानी औऱ जवाबदेही की कमी होती है। लेकिन ये सब आप सुनिश्चित कर सकते हैं। योजना पर अमल की मॉनिटरिंग तो आपको करनी ही चाहिए क्योंकि ये आप ही की जेब से टैक्स के रूप में निकलने वाली आपका पैसा है। लेकिन आप नजर रखेंगे कैसे ? एक ही विकल्प है जागरूक होना पड़ेगा। सवाल पूछने पड़ेंगे। इसके लिए सूचना का अधिकार यानी आरटीआई इसका एक सशक्त औऱ प्रभावी कानून है। इसके लिए आपको सिर्फ 10 रुपए के पोस्टल आर्डर के साथ आरटीआई के तहत निर्माण कार्य का निरीक्षण करने से लेकर योजना से जुड़े दस्तावेज की सर्टिफाइड कॉपी भी हासिल कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर कैसे आरटीआई के कुछ खास प्रावधानों का उपयोग कर जनता के पैसों से अमल में लाई जाने वाली योजनाओं और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता औऱ जवाबदेही सुनिश्चित कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सकते हैं।
आरटीआई की इस धारा में कर सकते हैं निर्माण कार्य का निरीक्षण: राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि आरटीआई की धारा 2(जे)1 के अंतर्गत एक आम आदमी भी सरकारी खर्च से होने वाले निर्माण कार्य और उससे संबंधित दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है। निरीक्षण करने के बाद योजना और निर्माण कार्यों से संबंधित दस्तावेजों की सत्यापित (सर्टिफाइड) कॉपी भी हासिल की जा सकती है। आरटीआई के इस सेक्शन के उपयोग से अपेक्षित पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों ही तय की जा सकती है।
निर्माण में प्रयुक्त सामग्री का सैंपल भी कर सकते हैं हासिल: वहीं आरटीआई की धारा 2(जे)3 के अंतर्गत आप जनहित से जुड़ी किसी योजना या निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही सामग्री (मटीरियल) का सर्टिफाइड सैंपल भी मांग कर सकते हैं। इससे आप यह पता लगा सकते हैं कि योजना या निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही सामग्री निर्धारित क्वालिटी और मात्री के अनुरूप है या नहीं।
बिना आरटीआई आवेदन किए भी मिल सकती है जानकारी: राहुल सिंह स्पष्ट करते हैं कि आरटीआई की धारा 4(1)बी में तो किसी नागरिक को आरटीआई लगाने की भी जरूरत नहीं है। इसके तहत संबंधित विभागों को खुद जानकारी देना होती है। नियमानुसार सभी सरकारी विभागों को यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी चाहिए। इस धारा के बिंदु 11 के तहत योजना या निर्माण कार्य के लिए आवंटित किए गए बजट की जानकारी दी जाती है। इसी धारा के बिंदु 12 के तहत किसी योजना में दी जाने वाली सब्सिडी, प्रक्रिया, उससे जुड़े हितग्राहियों का ब्योरा, आवंटित राशि और टेंडर आदि की जानकारी स्वतः देने का प्रवधान है। यदि किसी विभाग ने अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी नहीं दी है तो आप सीधे संबंधित ऑफिस में जाकर इस धारा के अंतर्गत बिना आवेदन किए ही उससे अपेक्षित जानकारी हासिल कर सकते हैं।
जनहित की योजना से जुड़े सभी तथ्यों की जानकारी देना अनिवार्य: आरटीआई के सेक्शन 4 (सी) के तहत सरकार की जनहित से जुड़ी सभी नीतियों और योजनाओं से जुड़े तथ्य जनता की जानकारी के लिए उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसके अलावा सेक्शन 4 (डी) के अनुसार सरकार और उसके किसी भी अधिकारी का निर्णय या आदेश-निर्देश जिसका असर जनसामान्य पर पड़ता हो, उसे जनता के लिए स्वतः उपलब्ध कराने का प्रावधान है। यह संबंधित विभाग या कार्यालय का दायित्व है कि वे उसे जनसामान्य के लिए वेबसाइट पर अपलोड करें।
इस बार बजट में सड़कों और पुलों के लिए 11 हजार करोड़ खर्च होंगे: मप्र सरकार के बजट-2022 में नए फाइनेंशियल ईयर में 3000 किमी की नई सड़कें और 1250 किमी सड़कों के नवीनीकरण की बात कही गई है। साथ ही 88 नए पुलों के निर्माण की भी योजना है। इसके अलावा पीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत 4,584 किलोमीटर सड़कें और 180 पुलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। वहीं मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2023 में प्रदेश में1200 किमी सड़क बनेगी। शहरी इलाकों में नई सड़कों के लिए 608 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन सब के लिए करीब 11 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सड़कों के साथ साथ सिंचाई, बिजली और पेयजल जैसी परियोजनाओं पर करीब 48 हजार करोड़ की भारी भरकम रकम खर्च की जाएगी।
जनता के करोड़ों रुपयों की बर्बादी के ये हैं ताजा उदाहरण: निर्माण कायों में सही मॉनिटरिंग नहीं होने से करोड़ों रुपयों की बर्बादी के कई उदाहरण हाल ही के वर्षों में सामने आ चुके हैं। पिछले साल श्योपुर, दतिया और शिवपुरी जिले में आई बाढ़ में करोड़ों रुपए से बने छह पुल ढह गए थे। जबकि ये 10 -15 साल पहले ही बने थे। दो साल पहले 2020 में सिवनी जिले की बेनगंगा नदी पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बना 4 करोड़ का पुल उद्घाटन से पहले ही ढह गया था। इससे पहले 2016 में 10 करोड़ की लागत से बने दो पुल सिवनी और छिंदवाड़ा में बह गए थे।