जबलपुर. मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव कोरोना की तीसरी लहर का खतरा टलने के बाद ही होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट जबलपुर को यह जानकारी देते हुए स्पष्ट किया है कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव राज्य सरकार की सहमति से ही कराए जाएंगे। आयोग की इस अंडरटेकिंग के बाद हाई कोर्ट ने मंगलवार,27 जुलाई को स्थानीय निकायों के चुनाव पर रोक लगाने की जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है।
आयोग ने दिए थे चुनाव की तैयारी के निर्देश
प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर की आंशका के चलते निकायों के चुनाव पर रोक लगाने की याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ.पीजी नाजपांडे एवं रजत भार्गव ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से मामले की पैरवी एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने की। याचिका में कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 15 जुलाई को बैठक कर प्रदेश में स्थनीय निकाय संस्थाओं के चुनाव की तैयारी कराने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत राज्य में 15 सितंबर से 347 नगरीय निकायों और दिसंबर से प्रदेश में पंचायतों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है।
कोरोना का खतरा टलने के बाद ही हों निकाय चुनाव
यदि ये चुनाव होते हैं तो प्रदेश में समूचा सरकारी तंत्र इसमें व्यस्त हो जाएगा। ऐसे हालात में यदि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आती है तो हालात बेहद खतरनाक होंगे। पूर्व में चुनावों के कारण प.बंगाल, केरल, तमिलनाडु, आसाम औऱ मिजोरम में विधानसभा चुनाव के कारण कोरोना संक्रमण के मामले बड़ी संख्या में बढ़ गए थे। मध्य प्रदेश में भी दमोह में हुए विधानसभा के उप चुनाव के चलते कई लोगों की मौत हो गई थी और बहुत से लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। याचिका में मांग की गई थी कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव तब तक रोके जाने चाहिए जब तक कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका या संभावना की समाप्ति की अधिकृत घोषणा नहीं हो जाती।