Sagar. मध्य प्रदेश में सरकार भले ही विकास का ढिंढोरा पीट रही है़, लेकिन जमीनी हालात कुछ और है। स्थिति ये है कि आज लोगों को बुनियादी सुविधाएं(infrastructure) नहीं मिल पाई हैं। यदि कहें कि अंतिम संस्कार(Funeral) की प्रक्रिया के दौरान कुछ लोगों ने टीड शेड को हाथों में पकड़कर शव को नीचे रखकर चिता को आग दी हो तो आप क्या इसे मानेंगे लेकिन यह सच है। मानवता को शर्मशार (shame on humanity) करने वाली यह दर्द भरी दास्तां सागर जिले के पाली ग्राम से आई है जहां लोगों ने बारिश के दौरान टीन शेड को पकड़कर अंतिम संस्कार करवाया क्योंकि श्मशान घाट में शेड और अन्य सुविधाओं का अभाव था। विकास के दावों की पोल खोलती तस्वीरें यह बताने के लिए काफी है कि आज मरना भी दूभर हो चला है। जिंदा रहने में तो कुछ नसीब होता नहीं कम से कम अंतिम यात्रा तो सुकून वाली हो लेकिन यह भी संभव नहीं हो पाया। जानकारी के अनुसार जब 70 वर्षीय मुन्ना लाल अहिरवार के निधन के बाद उनके परिजन तथा ग्रामीण उनका अंतिम संस्कार कराने के लिए पालीग्राम के श्मशान घाट पहुंचे जहां पहले श्मशान घाट में पानी भरा था। फिर भी किसी तरह लोगों ने अंतिम संस्कार प्रक्रिया शुरू की लेकिन इसी बीच अचानक बारिश आ गई जिसके बाद जलती चिता बुझने लगी तब ग्रामीण जन आनन-फानन में गांव से टीन की चादर लेकर आए तथा बारिश में टीन की चादर पकड़कर लोगों ने अंतिम संस्कार कराया। इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है।
रात एक बजे तक करते रहे चिता की सुरक्षा
पाली गांव के सनी अहिरवार के अनुसार सुबह साढ़े ग्यारह बजे श्मशान घाट पहुंचे, लेकिन वहां पर डेढ़-डेढ़ फीट पानी भरा था। गांव के लोगों ने श्मशान के चारों ओर नालियां खोदकर पानी निकाला तब कहीं जाकर हम दोपहर 2 बजे अंतिम संस्कार कर पाए। इसके बाद बारिश शुरू हो गई, जिसके कारण लकड़ियां भीग गईं और आग बुझने लगी। तो गांव से टीन के टुकड़े लेकर आए और चिता के ऊपर लगाकर लोग खड़े हो गए। वह अपने तीन भाइयों और गांव के अन्य लोग रात एक बजे तक इस डर से शमशान में बैठ रहे कि पानी गिरने से कहीं आग न बुझ जाए। दूसरी ओर 2020 तक सचिव रहे रामबाबू अहिरवार ने बताया कि वर्ष 2019 में मनरेगा योजना के तहत पाली में शमशान बनाने 1.80 लाख रुपए की स्वीकृति मिली थी। काम भी शुरू किया गया, लेकिन बाद में तत्कालीन सरपंच रामबाबू ठाकुर ने काम बंद करा दिया।