इंदौर जैसा झाबुआ में शराब घोटाला, सबसे बड़े शराब ठेकेदार राय परिवार पर मेहरबान आबकारी विभाग, दो साल से 4.39 करोड़ की रिकवरी ही नहीं

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Vivek Sharma
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इंदौर जैसा झाबुआ में शराब घोटाला, सबसे बड़े शराब ठेकेदार राय परिवार पर मेहरबान आबकारी विभाग, दो साल से 4.39 करोड़ की रिकवरी ही नहीं

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर जैसा ही शराब घोटाला झाबुआ में हुआ है, लेकिन इंदौर में जहां आबकारी विभाग ने पुलिस थाने में ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर कराई और आबकारी विभाग ने भी दो अधिकारियों को सस्पेंड और एक को ट्रांसफर किया। वैसा कुछ झाबुआ में नहीं किया गया। इसकी बड़ी वजह है जिसने यह किया है महेश राय प्रदेश के सबसे बड़े शराब ठेकेदार में से एक है। यह घोटाला और किसी ने नहीं शराब ठेकेदार के परिवार ने ही किया है। उनके पुत्र महेश राय द्वारा 4.39 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। अब विभाग महीनों से यह राशि वसूलने के लिए यहां-वहां राय की संपत्ति तलाश रहा है, ताकि उसे अटैच करके राशि वसूल कर सके। जबकि खुद रॉय परिवार के अन्य जगह पर भी कई शराब ठेके मौजूद हैं और बैंक गारंटी भी रखी हुई है। 



यह है मामला



द सूत्र के हाथ लगे आबकारी विभाग झाबुआ के पत्र के अनुसार- महेश राय पिता रमेश राय निवासी ए-501, शेखर प्लेनेट बांबे अस्पताल के सामने इंदौर ने झाबुआ में साल 2020-21 के लिए 13.78 करोड़ की राशि का शराब ठेका लिया था, लेकिन लाइसेंसी द्वारा पूरी ड्यूटी जमा नहीं कराई गई, इसके चलते उससे ठेका लेकर 15 जुलाई 2020 को नया टेंडर हुआ और फिर नए ठेकेदार को यह ठेका दिया गया। इस पूरी कसरत में विभाग को चार करोड़ 39 लाख 98 हजार 916 रुपए का घाटा हो गया। अब इसी की वसूली के लिए जिला आबकारी अधिकारी डॉ. शादाब अहमद सिद्दिकी इंदौर में उनकी चल-अचल संपत्ति तलाश रहे हैं, ताकि वसूली का जा सके। 



सिद्दिकी बोले घोटाला नहीं हुआ



इस मामले में सिद्दिकी ने द सूत्र से कहा कि घोटाला नहीं हुआ। पूरी ड्यूटी नहीं आने के कारण फिर टेंडर किया, इस अंतर की राशि हम वसूल रहे हैं। जब उनसे सवाल किया गया कि आपके पास क्या बैंक गारंटी वगैरह नहीं थी, उससे यह वसूली नहीं हो रही है क्या, तो उनका कहना है कि वह तो थी, लेकिन यह अलग राशि है। अब सिद्दिकी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि जब गारंटी वगैरह सब थी तो फिर राय की संपत्ति ढूंढकर वसूली की जरूरत क्यों पड़ी। इंदौर में एमआईजी एरिया की दुकानें करीब 47 करोड़ में बेंगलुरू के दो ठेकेदारों में ली, बदले में विभाग को 70 लाख और 4.70 करोड़ की दो बैंक एफडी दी। जब ठेकेदार दो माह बाद भाग गया, तो विभाग ने इन एफडी को कब्जे में लेने की कोशिश की, तब पता चला कि एफडी दरअसल सात हजार और 47 हजार की है, यह फर्जी तरह से तैयार की है। बाद में विभाग ने इन दुकानों का टेंडर किया तो भारी घाटे में गई, अब इस पूरी राशि को वसूलने के लिए विभाग ठेकेदार मोहन कुमार और अनिल सिन्हा को ढूंढ रहा है। 



यह अधिकारी हो चुके इसमें सस्पेंड



इंदौर में हुए इस कांड में एडीईओ (सहायक जिला आबकारी अधिकारी) राजीव उपाध्याय के साथ ही एसी (सहायक आयुक्त) राजनारायण सोनी भी सस्पेंड हो चुके हैं और वहीं डिप्टी कमिशनर संजय तिवारी का ग्वालियर ट्रांसफर कर दिया गया है। वहीं विभाग ने अभी तक इन अधिकारियों की जगह किसी अन्य की पोस्टिंग नहीं की है, बताया जा रहा है कि इसके लिए बड़े स्तर पर लॉबिंग चल रही है, लॉबिंग होने के बाद ही सबसे ज्यादा जोर मानने वाले को यह पद मिलेगा।



शराब ठेकेदार रिंकू भाटिया पुलिस को मिल ही नहीं रहा



उधर धार में आईएएस और एसडीएम नवजीवन पंवार और नायब तहसीलदार पर हमला करने के मामले में आरोपी बने शराब ठेकेदार रिंकू भाटिया पर दस हजार का इनाम घोषित होने के बाद भी पुलिस पकड़ नहीं पा रही है। इसे पकड़ने के लिए पुलिस 21 सितंबर की रात को इंदौर में उसके घर भी दबिश के लिए आई थी, लेकिन तब परिजन ने बताया था पांच दिन के लिए बाहर गए हैं, इस बात को भी 16 दिन हो चुके हैं लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक उनके हाथ नहीं पहुंचे हैं। 



आबकारी विभाग में घोटाले अब परंपरा



आबकारी विभाग में घोटाले अब नई बात नहीं रह गई है, इसमें शराब ठेकेदारों के साथ ही विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत कई बार सामने आ चुकी है। कुछ साल पहले इंदौर में 42 करोड़ का भी घोटाला सामने आया था, जिसमें तत्कालीन सहायक आयुक्त संजीव दुबे के साथ ही आधा दर्जन अधिकारी सस्पेंड हुए थे। पंजाब एंड सिंध बैंक में ठेकेदार द्वारा 150 करोड़ से ज्यादा फर्जी बैंक गारंटी मामले में ईओडब्ल्यू सितंबर 2021 से केवल जांच ही कर रही है। इस तरह शराब फैक्टरी पर संभागायुक्त द्वारा पीथमपुर की फैक्टरी में आईएएस एसडीएम द्वारा कराई जांच में अनियमितता सामने आने के बाद भी मामले को दबा दिया गया और प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी भी हाथ मलते हुए रह गईं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) नई दिल्ली ने भी इंदौर सहित पूरे प्रदेश की लिकर डिस्टलरी पर छापे मारे थे, लेकिन इसके बाद मामला अभी जांच में ही है।


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