Gwalior: बीजेपी बनाम सिंधिया शेयरिंग फार्मूले में अटकी पार्षद प्रत्याशियों की सूची

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Dev Shrimali
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Gwalior: बीजेपी बनाम सिंधिया शेयरिंग फार्मूले में अटकी पार्षद प्रत्याशियों की सूची

Gwalior. नगर निगम में नामांकन भरने में अब बस कुछ ही दिन शेष बचे हैं लेकिन बीजेपी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर सकी है। एक सप्ताह से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendr Singh Tomar)से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) तक रोज मीडिया के सामने घोषणा करते आ रहे है कि नाम तय हैं बस आज शाम तक सूची आ जायेगी लेकिन कई शामें बीतने के बाद भी वह आज तक नहीं आ सकी। दरअसल यह सूची दो बार फाइनल हो चुकी लेकिन सिंधिया समर्थक बनाम बीजपी के बीच शेयरिंग के आंकड़े के कारण अटकी पड़ी है।







सिंधिया तीस फीसदी चाहते है



तीन दिन से संभागीय कमेटी में सीटवार पैनल देखे गए और उसके आधार पर तकरीबन सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए गए थे। सूची जारी ही होने वाली थी लेकिन जैसे ही इसका पता सिंधिया को चला तो  उन्होंने कहा कि सूची में पहले मेरे सारे नाम शामिल करो फिर जारी करें। दरअसल सिंधिया ने जिला अध्यक्ष और संभागीय कमेटी के लोगों को शहर के साथ  अपने 28 समर्थकों की सूची सौंपी थी जबकि बीजेपी के ग्वालियर से लेकर भोपाल तक के सभी बड़े नेता आपस में तय किये बैठे है कि सिंधिया समर्थकों को चौदह से लेकर अठारह से ज्यादा टिकट नहीं देंगे। इस हिसाब से ही सूची बन गयी। इस सूची में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आये अनेक नेता टिकट से वंचित  रह रहे हैं सो उन्होंने इस पर अड़ंगा डाल दिया।







बीजेपी की अपनी दिक्कत



सूत्रों के अनुसार बीजेपी की अपनी दिक्कत ये है कि ग्वालियर में सिंधिया समर्थकों को जहाँ से भी टिकट दिए जाएंगे वहां पहले से ही बीजेपी जीतती रही है। अनेक वार्डों में उनके कर्मठ और वफादार कार्यकर्ता दावेदार है। इनको दरकिनार कर यदि सिंधिया समर्थकों को टिकट देंगे तो पार्टी के कैडर  पर विपरीत प्रभाव पद सकता है। दक्षिण में नारायण सिंह (Narayan Singh Kushwah)और ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में जयभान सिंह पवैया (Jai bhan singh Pawaiya )के समर्थक हर वार्ड में हैं और वे अब उन्ही सिंधिया समर्थकों के लिए काम कैसे करेंगे जो दशकों से उनके खिलाफ ही मोर्चा संभाले रहते थे। इसी तरह ग्वालियर पूर्व में अनूप मिश्रा,माया सिंह और नरेंद्र तोमर के समर्थकों के लोग दावेदार है लेकिन सिंधिया आधी सीटें चाहते हैं।



कल देर रात तक संभागीय कमेटी बैठकर माथा पच्ची करती रही। उसकी दिक्कत ये है कि उन्होंने मण्डल अध्यक्ष और अपने पर्यवेक्षक भेजकर पैनल मंगवाए हैं और फिर उससे पैनल बनाया है।  इनमे से किसी भी सिंधिया समर्थक का नाम नहीं आया। बीजेपी नेताओं का तर्क ये ही है कि सिंधिया समर्थक ज्यादातर का जनाधार कमजोर है और वे जीतने की स्थिति में नहीं है जबकि इस हार का असर परिषद् के बहुमत पर पद सकता है। सभापति का चुनाव और एमआईसी के सदस्यों के चयन में बहुमत बहुत मायने  रखता है इसलिए उन्हें विनिंग केंडिडेट चाहिए।





सिंधिया समर्थकों के अपने तर्क





उधर सिंधिया 28 टिकट चाहते है क्योंकि अब तो कांग्रेस के सभी टिकट सिंधिया ही तय करते थे अब बीजपी में आये हैं तो उन्हें काम से काम चालीस फीसदी का कोटा तो दिया जाए। उनका कहना है कि सर्वे के पैनल में उनके समर्थकों के नाम इसलिए नहीं आये क्योंकि यह चैनल बीजेपी का ही था। एक पैनल तो मंडल अध्यक्षों का था तो दूसरे जिले ने हर वार्ड में पर्यवेक्षक भेजकर दो या उससे अधिक का पैनल कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करके देने को कहा था। सिंधिया समर्थको का कहना है कि सभी मंडल अध्यक्ष और पर्यवेक्षक बीजपी के मूल कार्यकर्ता ही है सो उन्होंने उसी हिसाब से पैनल बनाकर दिए है इसलिए महाराज द्वारा दिए गए नाम कंसीडर किये जाए।







आज रात तक जारी हो सकती है सूची



बीजेपी द्वारा बनाई गयी संभागीय कमेटी के अध्यक्ष और ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर (Vivek. Nrayan Shejwalkar )ने "द सूत्र " से कहाकि प्रत्याशी चयन का काम पूरा हो गया है। पार्टी की रणनीति के तहत इनको घोषित नहीं किया गया था और आज रात तक सूची जारी हो जाएगी।



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