मध्यप्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं होता लिवर ट्रांसप्लांट

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं होता लिवर ट्रांसप्लांट

Bhopal. WHO के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल लिवर की बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या 2.59 लाख है। ये कुल मौतों का 2.95 प्रतिशत है। यानि 10 में से 3 लोगों की मौत लिवर संबंधित बीमारी की वजह से होती है। लिवर सिरोसिस सबसे गंभीर बीमारी है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की माने तो ट्रांसप्लांट ही इसका इलाज है। लेकिन निजी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट का खर्च 25 लाख रुपए आता है। ये खर्च उठाना आम आदमी के बस की बात नहीं है। दूसरी तरफ प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है। एम्स भोपाल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर साइंस शुरू करने की कवायद बीते 7 साल से चल ही रही है।





शराब पीना ही लिवर खराब होने की वजह नहीं





पेट एवं लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि 30 साल पहले तक लिवर खराब होने की वजह शराब को ही माना जाता था। उसके बाद पता चला कि हिपेटाइटिस-बी और सी की वजह से लिवर खराब हो रहा है। लेकिन अब तीसरी बड़ी वजह सामने आ रही है। जिसमें लोगों को जंक फूड लेने और अनियमित दिनचर्या की वजह से लिवर सिरोसिस हो रहा है। इसे नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज कहते हैं। जिसमें लिवर पर चर्बी जमा हो जाती है।





50 फीसदी मरीज ऐसे जिन्होंने कभी शराब नहीं पी





लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे 100 में से 50 मरीज ऐसे हैं जिन्होंने कभी शराब नहीं पी और न ही उन्हें हिपेटाइटिस हुआ है। लेकिन फैटी लिवर की वजह से 50 फीसदी मरीजों का लिवर खराब हो रहा है।





3 कारणों से होता है फैटी लिवर





डॉ. संजय कुमार के मुताबिक 3 वजहों से फैटी लिवर होता है। ओवरवेट होने, डायबिटिक होने और एक्सरसाइज नहीं करने की वजह से फैटी लिवर होता है। व्यायाम नहीं करने वालों को फैटी लिवर का खतरा बढ़ता जा रहा है। खानपान में शामिल फास्ट फूड, कोल्डड्रिंक्स भी इसके खतरे को बढ़ाते हैं।





टैटू बनवाने जा रहे हैं तो ध्यान रखें





लिवर डैमेज होने की सबसे बड़ी वजह हिपेटाइटिस-बी और सी भी हैं। इनसे बचने के लिए भी ध्यान रखा जाना चाहिए। हिपेटाइटिस, असुरक्षित यौन संबंधों और ब्लड प्रोडक्ट्स से फैलता है। इसलिए इंजेक्शन लगवाते समय ध्यान रखना चाहिए कि डिस्पोजेबल सिरिंज का ही इस्तेमाल हो रहा हो। टैटू बनवाते समय भी ध्यान रखना चाहिए कि पुरानी निडिल का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है।



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