रतलाम. रतलाम के लोकेश कुमावत मणिपुर में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद (Ratlam Lokesh Kumawat martyr) हो गए। उनकी पार्थिव देह 3 नवंबर को उनके पैतृक गांव मावता लाई गई। इस खबर को सुनकर मावता और आसपास के गांवों में शोक की लहर है। उन्हें सैन्य सम्मान (military honors) के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी, लोकेश को अंतिम विदाई देने के लिए आसपास के इलाके से जनसैलाब उमड़ा है।
उग्रवादी हमले में लगी गोली
साल 2019 में उज्जैन (Ujjain) से देशभक्ति का जज्बा लेकर लोकेश ने आर्मी ज्वाइन की थी। हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद उन्हें मणिपुर में पोस्टिंग मिली थी। जानकारी के मुताबिक, लोकेश को उग्रवादी हमले के दौरान गुरुवार को गोली लगी, जिससे वे शहीद हो गए। उनके पिता किसान है। जबकि काका रामेश्वर कुमावत भी सेना में तैनात हैं।
तिलक लगाकर भेजा था
सेना में चयन होने के बाद जब लोकेश को पहली पोस्टिंग मिली थी। तब उनकी मां और परिजन ने तिलाई लगाकर उन्हें पोस्टिंग के लिए भेजा था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि लोकेश तिरंगे में लिपटकर घर लौटेंगे। वहीं, सीएम शिवराज (CM Shivraj) ने कहा कि 'आर्मी की इंफाल यूनिट में पदस्थ रतलाम के ग्राम मावता के वीर सपूत लोकेश कुमावत जी ने मातृभूमि की सेवा एवं अखण्डता की रक्षा करते हुए प्राण न्योछावर कर दिया। मैं उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
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