समाजवादी मुलायम सिंह के पक्के दोस्त थे सिंधिया राजघराने के महाराज, माधवराव सिंधिया का पचासवां जन्मदिन मनाने पहुंच गए थे ग्वालियर

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Dev Shrimali
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 समाजवादी मुलायम सिंह के पक्के दोस्त थे सिंधिया राजघराने के महाराज, माधवराव सिंधिया का पचासवां जन्मदिन मनाने पहुंच गए थे  ग्वालियर

देव श्रीमाली , GWALIOR. देश के जाने -माने समाजवादी नेता और यूपी की सियासत के मिथक बन गए मुलायम सिंह भारतीय लोकतंत्र की विशेषता को जीवन से बखानने वाले व्यक्तित्व थे। वे यूपी में मंत्री ,मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री तक रहे और अपने लहजे ,आचरण और संपर्क से खांटी समाजवादी मुलायम सिंह यादव वैसे तो मन ,वचन और कर्म से समाजवादी नेता थे लेकिन इससे ठीक उलट उनके व्यक्तित्व से जुड़ी एक चौंकाने वाली बात ये भी थी कि उनके नजदीकी दोस्तों में था एक राज परिवार का महाराज। जी हाँ ग्वालियर सिंधिया राजघराने के तत्कालीन मुखिया माधव राव सिंधिया मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी मित्र थे और वे निजी तौर पर एक दूसरे के प्रशंसक भी थे और सार्वजनिक रूप से एक दूसरे की प्रशंसा भी करने से नही चूकते थे। 



सिंधिया का जन्मदिन समारोह 



बात 1996 -97 की है। मार्च का महीना था। तब कांग्रेस के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया ने अपनी आयु के पचास वर्ष पूरे किये थे। सामान्य तौर पर अपने जन्मदिन समारोह को निजता तक सीमित रखने वाले माधव राव से जब ग्वालियर के समर्थकों ने पचासवीं सालगिरह को समारोह पूर्वक पूर्वक मनाने का आग्रह किया तो वे सकुचाते हुए तैयार हुए। लेकिन उन्होंने इसके लिए एक शर्त रख दी। उन्होंने कहा कि अगर वे जन्मदिन मनाएंगे तो पूरे ग्वालियर की शिरकत होनी चाहिए। आयोजन जयविलास पैलेस में नहीं बल्कि महाराज बाड़े पर होना चाहिए। महाराज बाड़े से माधव राव सिंधिया का ख़ास लगाव था। माना जाता है कि जब उनके पूर्वज दौलत राव सिंधिया अपनी राजधानी मालवा से लेकर ग्वालियर आये तो सबसे पहला महल गोरखी ही बनाया था। उसी में सिंधिया परिवार का देवघर भी है जहाँ स्थित बाबा मंसूर की पूजा सिंधिया परिवार करता है।  बाड़ा इसी महल के सामने स्थित है। स्व सिंधिया का बाड़े से इतना लगाव था कि वे अपने लोकसभा चुनाव की सबसे आखिरी सभा महाराजबाड़े पर ही करते थे वह भी प्रचार बंद होने के आखिरी दिन। 



ऐसा हुआ था समारोह 



तब आयोजन की व्यवस्था में शामिल रहे सिंधिया परिवार से जुड़े बाल खांडे बताते हैं कि इस आयोजन को लेकर सारे समर्थक बहुत उत्साहित थे और इस आयोजन में उमड़ने वाली भीड़ को लेकर प्रशासन से लेकर सरकार तक चिंतित थी। शाम को हुए इस आयोजन में पूरे संभाग से हजारों लोगों की भीड़ जुट गयी। तब ग्वालियर के डीआईजी थे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी राम निवास। वे ग्वालियर के एसपी भी रह चुके थे। उन्हें खासतौर पर मंच पर सुरक्षा व्यवस्था देखनी थी। छत्तीसगढ़ के डीजीपी रह चुके राम निवास बताते हैं कि उन्हें सिंधिया ने ख़ास निर्देश दिए थे कि सुरक्षा व्यवस्था ऐसी हो कि किसी आने वाले को कोई परेशानी न हो। रामनिवास कहते हैं कि स्व सिंधिया बेहद संवेदनशील इंसान थे खासकर अपने समर्थकों को लेकर वे बहुत  भावुक रहते थे। इसी भावुक होने की आदत ने उन्हें मुलायम सिंह जैसे खांटी समाजवादी नेता तक को अपना प्रशंसक बना दिया था। 



जन्मदिन के मंच पर मुलायम और कपिल देव भी पहुंचे थे 



पचासवे जन्मदिन समारोह में मंच सजा था महाराज बाड़े पर और उस पर सिंधिया के अलावा मुलायम सिंह यादव और तब क्रिकेट में सुपरस्टार की हैसियत रखने वाले कपिल देव भी थे लेकिन इनकी लोकप्रियता फीकी थी हर कोई सिंधिया के लिए ही वहां पहुंचा था। जनता में इतनी लोकप्रियता देखकर खुश हुए मुलायम सिंह ने कहा था - मैं समाजवादी हूँ। ये महाराजा। लेकिन मेरी इस महाराज से दोस्ती यूं ही नहीं है। आज उमड़ी भीड़ बताती है कि वे लोकतंत्र में लोगों के दिल के कितने करीब हैं। यह लोकप्रियता यूं ही नहीं मिलती। इसके लिए लोगों का दिल जीतना पड़ता है। रामनिवास बताते हैं कि- मंच पर सिंधिया जी ने मेरा परिचय कराया।  बोले - मुलायम सिंह जी हमारे पास भी एक यादव है ,ये हमारे डीआईजी साहब है। राम निवास।  ये भी यादव है बस लिखते नाम ही है। 



सोशलिस्टों के विरोध के बावजूद आये थे मुलायम 



उस समय ग्वालियर के सभी सोशलिस्ट मुलायम सिंह के सिंधिया के जन्मदिन में आने के खिलाफ थे। उनका मानना था कि राजा और रंक  का कोई मेल नहीं है।  लेकिन मुलायम सिंह ने यह कहते हुए उनकी बात ठुकरा दी थी कि लोकतंत्र में जनता राजा होती है बाकी सब रंक। वे पहुंचे भी थे और पूरे समय मौजूद भी रहे थे। 



सिंधिया भी गए थे अखिलेश के जन्मदिन में 



स्व सिंधिया और मुलायम सिंह के बीच रिश्ते पारिवारिक थे। लोगों का मानना है कि इसकी वजह अमर सिंह थे। अमर सिंह और मुलायम सिंह में एक ही राज्य के निवासी होने के कारण पुरानी जान-पहचान थी।  जब अमर सिंह ने राजनीति में कदम रखा तो वे माधव राव  के जरिये ही आगे बढ़े। उन्होंने कांग्रेस में काम शुरू किया और स्व सिंधिया ने उन्हें ग्वालियर से ही एआईसीसी का डेलीगेट बनवाया। इसके बाद मुलायम सिंह और सिंधिया के भी संपर्क बढे, हालाँकि बाद में अमर सिंह कांग्रेस छोड़कर मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी में ही शामिल हो गए। जब सिंधिया रेल मंत्री थे तब मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव का सैफई में जन्मदिन समारोह का आयोजन किया जिसमें स्व सिंधिया गए थे और उन्होंने उपहार भी दिया था। 



ग्वालियर-चम्बल अंचल से रहा मुलायम सिंह  का लगाव  



कहने को तो मुलायम सिह  यूपी के नेता थे लेकिन भिंड और ग्वालियर से उनका बड़ा लगाव था। भिंड में तो वे इटावा से आने वाली  बारातों में बाराती की हैसियत से आते थे। वे पद पर रहे हों या विपक्ष में ,शादी - विवाह में आते-जाते रहते थे।  भिंड जिले के दर्जनों लोगों से उनकी सीधी जान -पहचान थी।  वे अपनी पार्टी के प्रत्याशी भी यहाँ से उतारते थे। ग्वालियर से भी उनका बड़ा लगाव था। पिछले महीने जन्माष्टमी पर यादव समाज द्वारा आयोजित रैली में शिरकत करने पहुंचे सपा सुप्रीमो और उनके बेटे अखिलेश यादव ने तो अपने भाषण में उल्लेख किया था - नेता जी का ग्वालियर से प्रेम जगजाहिर है। वे इस रैली में शिरकत करने कई बार आये और सदैव इसका उल्लेख बातचीत में करते थे। 



हवाई पट्टी से  डीएसपी को देखकर पास आकर बोले - पहचान नहीं रहे  



 मुलायम सिंह की याद और सहजता के अनेक किस्से है ,एक किस्सा मेरे सामने भी घटित हुआ।  बात तब की है जब मुलायम सिंह देश के रक्षा मंत्री थे। वे ट्रांजिट विजिट पर ग्वालियर हवाई अड्डे पर उतरे।  उन्हें विमान से उतरकर हेलीकॉप्टर से झांसी जाना था। वे प्लेन से उतरे तो कमिश्नर ,आईजी ,कलेक्टर और एसपी ने एयरस्ट्रिप पर ही उनकी अगवानी की लेकिन वे बगल में खड़े हेलीकॉप्टर में बैठने की जगह LOUNGE की तरफ बढ़ने लगे।  किसी नहीं आया। एयरपोर्ट पर हड़कंप मच गया। वे दूर खड़े एक डीएसपी के पास पहुंचे।  उनके कंधे पर धुप्पल देते हुए बोले - पहचान नहीं रहे हमें। तुम तो प्रेम हो ? यहाँ क्या कर रहे हो ? सब सकपका गए। थोड़ी देर बातचीत के बाद उसे लखनऊ आने का आमंत्रण देकर चले गए। दरअसल तब ग्वालियर में सीएसपी पीके दीक्षित और मुलायम सिंह के जमाने में सहपाठी थे और फिर इटावा में एक ही स्कूल में पढ़ाते भी थे। दीक्षित बाद में एमपी में पुलिस में थानेदार बन गए। दोनों वर्षों बाद आमने - सामने आये लेकिन मुलायम सिंह की आत्मीयता वही पुरानी वाली दिखी ।  दीक्षित संकोच में थे कि लेकिन मुलायम सिंह की आत्मीयता वही पुरानी वाली दिखी इतने बड़े पद पर हैं क्या पहचानेंगे ? फिर वहां बड़े अफसर खड़े थे उनके बीच पहुंचना भी संभव नहीं था लेकिन मुलायम सिंह तो ठहरे मुलायम सिंह , अपने दोस्त के पास  पहुँच गए और उसी अपनेपन से बतियाये कि दीक्षित की आँखें नम हो गयीं। 










 


Saifai Gwalior ग्वालियर Mulayam Singh Yadav and Madhav Rao Scindia came to Madhav Rao's birthday Mulayam Scindia and Mulayam's friendship मुलायम सिंह यादव और माधव राव सिंधिया माधव राव के जन्मदिन में आये थे मुलायम सिंधिया और मुलायम की दोस्ती सैफई