आदिवासियों पर डोरे: जनजातीय बोलियां प्राइमरी में पढ़ाएंगे-CM; कांग्रेस की भी मुहिम

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आदिवासियों पर डोरे: जनजातीय बोलियां प्राइमरी में पढ़ाएंगे-CM; कांग्रेस की भी मुहिम

भोपाल. मध्यप्रदेश में आदिवासियों को साधने की कवायद तेज हो गई है। 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) और जयस (Jyas- जय युवा आदिवासी संगठन) की कोशिशें तेज हो गई हैं। पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय के लिए आरक्षण (Reservation) 14 से बढ़ाकर 27% करने के बाद अब शिवराज सरकार का फोकस आदिवासियों पर है। इस वर्ग के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों को भरने की कवायद तेज हो गई है। जनजातीय भाषा और बोलियों को प्राइमरी स्कूलों के सिलेबस में शामिल करने की तैयारी है। इतना ही नहीं, आदिवासी बाहुल्य जिलों में 6वीं से कौशल विकास और रोजगार से जुड़े विषय भी पाठ्यक्रम में जोड़े जा रहे हैं। कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर आदिवासियों को अपना बनाने की मुहिम छेड़े हुए है।

आदिवासी कार्यक्रम में शाह की शिरकत

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 सितंबर को गोंड राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह के शहीद दिवस पर जबलपुर में होने वाले कार्यक्रम में आदिवासियों के लिए कई ऐलान कर सकते हैं। आदिवासी गौरव दिवस पर 66 दिन के कार्यक्रम आयोजित करने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 18 सितंबर को जबलपुर से की जाएगी। कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विशेष तौर पर उपस्थित रहेंगे।

जयस के गढ़ में कांग्रेस की जुगत

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 6 सितंबर को बड़वानी के दौरे पर थे। अलीराजपुर, बड़वानी, धार (मालवा-निमाड़ क्षेत्र) को जयस के प्रभुत्व वाला इलाका माना जाता है। यहां आदिवासी अधिकार यात्रा निकाली गई। यहां जुटी भीड़ का कांग्रेस ने जोरशोर से प्रचार किया। कमलनाथ ने कहा कि मैं शिवराज सिंह चौहान को कहता हूं कि आप अपना नाम शिवराज सलमान रख लें, आप एक्टिंग बहुत अच्छी कर लेते हैं। आप जनता के सामने एक्टिंग करते हैं और जनता को गुमराह करते हैं। वहीं, कांग्रेस के सोशल मीडिया अकाउंट पर कार्टूनों से बताया जा रहा है कि पार्टी ही उनकी असली हितैषी है।

आदिवासी बच्चों को स्कूल लाने की कवायद

मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आदिवासी बाहुल्य जिलों में 40 हजार छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था। इससे पहले 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉकों के करीब 2800 स्कूलों को बंद करने पर सरकार को इस वर्ग की नाराजगी झेलना पड़ी थी। अब सरकार की कोशिश स्कूली शिक्षा के साथ आदिवासी युवाओं को जोड़ने की है। इसके लिए स्वरोजगार के कोर्स शुरू किए जा रहे हैं।

सियासी दलों के लिए आदिवासी तगड़ा वोट बैंक

मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं। 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता था। बीजेपी ने इसमें सेंध लगा दी और आदिवासी कांग्रेस से छिटक गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 आदिवासी सीटों में से 30 सीटें झटक लीं, बीजेपी को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा। 

कांग्रेस से छिटक रहा जयस

मौजूदा स्थिति में जयस आदिवासियों के प्रमुख संगठन के रूप में उभरा है। कांग्रेस भी जयस को समर्थन दे रही है। 2018 चुनाव में जयस नेता डॉ. हीरालाल अलावा को कांग्रेस ने टिकट दी और वे जीते। अब हालात थोड़े बदले हैं। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में जयस का कांग्रेस पर से भरोसा खत्म होता दिखा। अब जयस के निशाने पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों हैं। उधर, अब बीजेपी आदिवासियों के साथ खड़े होकर 2023 में उनका भरोसा जीतना चाहती है।

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